क्यों बदलना चाहती है सरकार सर्कल रेट?
दिल्ली सरकार ने राजधानी में सर्कल रेट्स (Circle Rates) को संशोधित करने का फैसला लिया है। सर्कल रेट वह न्यूनतम मूल्य होता है जिस पर किसी भी इलाके में प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। सरकार का कहना है कि मौजूदा सर्कल रेट्स और बाजार की असली कीमतों में बड़ा अंतर है। ऐसे में नए रेट्स तय करने से न केवल राजस्व बढ़ेगा बल्कि प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन में पारदर्शिता भी आएगी।
दिल्ली का वर्गीकरण कैसे होता है?
फिलहाल दिल्ली को आवासीय इलाकों के हिसाब से 8 कैटेगरी (A से H) में बांटा गया है। कैटेगरी A में साउथ दिल्ली और अन्य पॉश इलाके आते हैं, जहाँ सर्कल रेट सबसे ज्यादा है। वहीं कैटेगरी H में ग्रामीण क्षेत्र आते हैं, जहाँ कीमतें सबसे कम तय होती हैं। इस बार संशोधन सभी कैटेगरी पर लागू होगा, जिसमें कृषि भूमि और नदी किनारे की जमीनें भी शामिल हैं।
जनता से मांगा गया फीडबैक
दिल्ली राजस्व विभाग ने इस बदलाव पर नागरिकों से सुझाव मांगे हैं। इसमें RWA (Resident Welfare Association), इंडस्ट्री बॉडीज, प्रॉपर्टी मालिक और आम लोग अपनी राय भेज सकते हैं। सरकार ने इसके लिए 15 दिन का समय दिया है।
ऑनलाइन देख सकते हैं नोटिफिकेशन
राजस्व विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूदा सर्कल रेट्स का नोटिफिकेशन उपलब्ध है। वहीं विभाग का कहना है कि जो भी सुझाव जनता की तरफ से आएंगे, उन्हें अंतिम निर्णय से पहले ध्यान में रखा जाएगा।
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क्या होगा फायदा?
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर सर्कल रेट्स को बाजार की असली कीमतों के नजदीक लाया गया तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से सरकार की कमाई बढ़ेगी। इसके अलावा खरीददार और बेचने वाले दोनों को सही मूल्यांकन मिलेगा और अवैध लेन-देन की गुंजाइश कम होगी।
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