गरीब किसानो को मालामाल बना देगी इस फूल की खेती, आज ही से करे शुरू

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गरीब किसानो को मालामाल बना देगी इस फूल की खेती, आज ही से करे शुरू। गेंदा, जिसे मैरिगोल्ड भी कहा जाता है, भारत में एक लोकप्रिय फूल है। इसकी खेती पूरे देश में, खासकर उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है। गेंदा के फूलों का उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, त्योहारों, सजावट और औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

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गेंदा की खेती: कैसी होनी चाहिए जलवायु

गेंदा एक उष्णकटिबंधीय फूल है जो गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। यह 15°C से 30°C के तापमान में पनपता है।

गेंदा की खेती: मिट्टी

गेंदा विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन यह अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है। मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। गेंदा की खेती साल भर की जा सकती है, लेकिन सबसे अच्छा समय जुलाई से सितंबर और फरवरी से मार्च तक होता है।

गरीब किसानो को मालामाल बना देगी इस फूल की खेती, आज ही से करे शुरू

गेंदा की खेती: अलग-अलग किस्में

गेंदा की कई किस्में हैं, जिनमें से कुछ लोकप्रिय किस्में हैं:

  • अफ्रीकन गेंदा: यह गेंदा का सबसे आम प्रकार है। इसमें बड़े, चमकीले रंग के फूल होते हैं।
  • फ्रेंच गेंदा: यह गेंदा छोटे, नाजुक फूलों वाला होता है।
  • पतंगी गेंदा: यह गेंदा छोटे, पीले रंग के फूलों वाला होता है।

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गेंदा की खेती: बुवाई

गेंदा के बीजों को सीधे खेत में बोया जा सकता है या पहले नर्सरी में उगाया जा सकता है। बीजों को 1 सेमी की गहराई और 10 सेमी की दूरी पर बोया जाना चाहिए।

गेंदा की खेती: सिंचाई और खाद

गेंदा को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है। गर्मी के मौसम में, हर 3-4 दिन में पानी देना चाहिए ।गेंदा को अच्छी वृद्धि और फूलों के उत्पादन के लिए खाद की आवश्यकता होती है। बुवाई के समय 20-25 टन/हेक्टेयर गोबर की खाद डालें।

गेंदा की खेती: निराई-गुड़ाई और कटाई

खरपतवारों को नियमित रूप से हटाना चाहिए। गेंदा को कुछ रोगों और कीटों से प्रभावित हो सकता है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं। फफूंद रोग यह रोग पत्तियों और तनों पर धब्बे पैदा करता है। ये कीट पत्तियों को खा जाते हैं। गेंदा के फूलों की कटाई तब की जाती है जब वे पूरी तरह से खिल जाते हैं। फूलों को सुबह जल्दी या शाम को देर से काटा जाना चाहिए।

गेंदा की खेती: कितनी होगी उपज

गेंदा की उपज किस्म, जलवायु और प्रबंधन प्रथाओं पर निर्भर करती है। एक हेक्टेयर से 10-15 टन फूलों की उपज प्राप्त की जा सकती है। गेंदा की खेती से अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है। एक हेक्टेयर से 2-3 लाख रुपये का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।गेंदा के फूलों की बाजार में अच्छी मांग है। इन फूलों को स्थानीय बाजारों, मंडियों और फूलों की दुकानों में बेचा जा सकता है।