विधानसभा चुनावों के परिणामों की गिनती के दौरान दिलचस्प उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे
Credit to strategy: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के परिणामों की गिनती के दौरान दिलचस्प उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं। हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली, जहां पहले कांग्रेस आगे थी, फिर भाजपा ने बढ़त बना ली।
हरियाणा में भाजपा की संभावित जीत के कारण:
- केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति: भाजपा की जीत में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका अहम रही। भाजपा ने उन नेताओं को हटाया, जो चुनावी जीत में बाधा बन सकते थे, जबकि कांग्रेस ऐसा कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकी।
- आंतरिक कलह: कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह रही, जिसमें कुमारी सैलजा का उदाहरण सामने आया। कांग्रेस के कई बड़े नेता आपस में विवादों में उलझे रहे, जिससे पार्टी की चुनावी रणनीति प्रभावित हुई।
- राहुल गांधी का प्रचार: कांग्रेस ने राहुल गांधी को चुनाव प्रचार में प्रमुख रूप से आगे किया, लेकिन जिन 12 सीटों पर राहुल गांधी ने प्रचार किया, उनमें से 8 पर कांग्रेस पीछे चल रही है। इससे कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के आंकड़े:
- 90 सीटों पर चुनाव हुए हैं, और सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत होगी।
- 2019 के चुनावों में भाजपा ने 36.49% वोट के साथ 40 सीटें जीती थीं और जेजेपी (10 सीटें) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी।
- इस बार कम मतदान (65%) होने के कारण भाजपा और कांग्रेस दोनों की चिंताएं बढ़ गई थीं, लेकिन भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव:
- जम्मू-कश्मीर में कुल 90 सीटें हैं, और यह चुनाव आर्टिकल 370 हटने के बाद पहला विधानसभा चुनाव है।
- यहां तीन चरणों में 63.45% मतदान हुआ।
- भाजपा, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC), और पीडीपी सहित कई दल मैदान में हैं, लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना कम है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को बढ़त मिलती दिख रही है।
- 2014 के चुनावों में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि भाजपा 25 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी।
कुल मिलाकर, हरियाणा में भाजपा की जीत का श्रेय मजबूत केंद्रीय नेतृत्व और रणनीतिक फैसलों को दिया जा रहा है, जबकि कांग्रेस की आंतरिक समस्याएं उसकी हार का कारण बनती दिख रही हैं। जम्मू-कश्मीर में मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है, जहां किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलने की उम्मीद नहीं है।
source internet