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अंतरराष्ट्रीय छात्रों की बढ़ी चिंता, ट्रंप का फैसला बना अनिश्चितता का कारण

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन के एक फैसले से हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हजारों अंतरराष्ट्रीय के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड के स्टूडेंट एंड विजिटर एक्सचेंज प्रोग्राम को रद कर दिया है।

होमलैंड सुरक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी को 72 घंटे का समय दिया है। इस समयसीमा के भीतर हार्वर्ड को मांगी गई जानकारियां उपलब्ध करानी हैं। होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने इसे अमेरिका के सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए चेतावनी कहा है।

ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड के सामने 6 कठोर शर्तें रखी हैं:
विश्वविद्यालय परिसर या उसके बाहर में किसी गैर अप्रवासी छात्र द्वारा की गई अवैध गतिविधि के रिकॉर्ड उपलब्ध कराना
पिछले 5 साल में हार्वर्ड में एनरोल किसी गैर अप्रवासी छात्र द्वारा परिसर या उसके बाहर की गई किसी खतरनाक या हिंसक गतिविध के रिकॉर्ड उपलब्ध कराना
पिछले 5 साल में यूनिवर्सिटी परिसर या उसके बाहर गैर अप्रवासी छात्र द्वारा अन्य छात्रों या यूनिवर्सिटी कर्मचारियों को धमकी देने के रिकॉर्ड उपलब्ध कराना
पिछले 5 साल में यूनिवर्सिटी परिसर या उसके बाहर गैर अप्रवासी छात्र द्वारा अन्य छात्रों या विश्वविद्यालय कर्माचारियों के अधिकारों के हनन संबंधी रिकॉर्ड देना
पिछले 5 साल में यूनिवर्सिटी में एनरोल गैर अप्रवासी छात्रों के सभी अनुशासनात्मक रिकॉर्ड उपलब्ध कराना
पिछले 5 साल में यूनिवर्सिटी परिसर में गैर-आप्रवासी छात्र से जुड़ी किसी भी प्रोटेस्ट से जुड़े रिकॉर्ड देना

788 भारतीय छात्र कर रहे पढ़ाई
ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि हार्वर्ड को ये सभी रिकॉर्ड चाहे आधिकारिक हो या अनौपचारिक, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और ऑडियो या वीडियो फुटेज शामिल हैं, 72 घंटे के भीतर उपलब्ध कराने होंगे।

बता दें कि हार्वर्ड दुनिया का एक नामी शैक्षणिक संस्थान है। हार्वर्ड के विभिन्न स्कूलों में करीब 10,158 अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ते हैं। 2024-25 के अकेडमिक रिकॉर्ड के अनुसार, भारत के करीब 788 छात्र यूनिवर्सिटी में एनरोल्ड हैं।

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