China Responds America: अमेरिका और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर 100% टैरिफ लगाने के बाद अब चीन ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो अमेरिका को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच बढ़ते इस व्यापारिक विवाद ने एक बार फिर से ट्रेड वॉर की आग को भड़का दिया है।
चीन का कड़ा बयान: “हम झगड़ा नहीं चाहते, पर डरते भी नहीं”
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ट्रंप प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे कदम न केवल चीन बल्कि पूरे वैश्विक व्यापार पर असर डालेंगे। बयान में कहा गया, “हम शांति चाहते हैं, लेकिन अगर कोई देश हमें चुनौती देता है, तो चीन पीछे नहीं हटेगा।” मंत्रालय ने यह भी कहा कि अमेरिका के इस फैसले से द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों पर गहरा असर पड़ेगा और व्यापारिक तनाव और भी बढ़ेगा।
ट्रंप ने क्यों लगाया 100% टैरिफ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह टैरिफ 1 नवंबर 2025 से लागू होगा। इसका कारण चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) पर नियंत्रण कड़ा करना बताया जा रहा है। चीन ने इन तत्वों में से पांच—जैसे होल्मियम और एर्बियम—की आपूर्ति सैन्य उपयोग के लिए रोक दी है। अमेरिका को यह कदम अपनी सुरक्षा और तकनीकी प्रभुत्व के लिए खतरा लगा।
एआई चिप्स और सॉफ्टवेयर पर भी बैन
अमेरिका ने केवल टैरिफ ही नहीं लगाया, बल्कि चीन से आने वाले एआई चिप्स और सॉफ्टवेयर के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम अमेरिकी टेक कंपनियों को चीन की प्रतिस्पर्धा से दूर रखने के लिए उठाया गया है। इससे दोनों देशों के बीच तकनीकी युद्ध (Tech War) भी और गहराता जा रहा है।
ट्रेड वॉर में बढ़ेगी आग
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नए टैरिफ और प्रतिबंध के बाद चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक टकराव और भी गंभीर हो सकता है। दोनों देश पहले भी कई बार आयात-निर्यात और टैक्स को लेकर आमने-सामने आ चुके हैं। अब एक बार फिर यह विवाद वैश्विक बाजार पर बड़ा असर डाल सकता है।
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चीन की रणनीति: जवाबी कार्रवाई की तैयारी
चीन ने साफ कहा है कि वह जल्द ही अपनी रणनीतिक योजना पेश करेगा। अगर अमेरिका अपने फैसले पर कायम रहता है, तो चीन भी अमेरिकी सामानों पर भारी टैक्स लगाने की तैयारी कर रहा है। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और टेक उत्पादों की कीमतों में उछाल आ सकता है।