छिंदवाड़ा (Chhindwara) में खांसी की दवा पीने के बाद बच्चों की मौत के मामले ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा फैसला लेते हुए Coldrif Syrup की बिक्री पर पूरे मध्यप्रदेश में प्रतिबंध लगा दिया है। इतना ही नहीं, जिस कंपनी ने यह सिरप बनाया है, उसके अन्य प्रोडक्ट्स पर भी बैन लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जांच रिपोर्ट में क्या निकला?
सीएम मोहन यादव ने बताया कि यह दवा कांचीपुरम (तमिलनाडु) की फैक्ट्री में बनती है। घटना की जानकारी मिलने के बाद एमपी सरकार ने तमिलनाडु सरकार से जांच कराने को कहा। रिपोर्ट 3 अक्टूबर 2025 की शाम को आई, जिसमें खुलासा हुआ कि सिरप में Diethylene Glycol (DEG) की मात्रा तय सीमा से ज़्यादा है। यही जहरीला तत्व बच्चों की मौत की वजह बना।
बच्चों की मौत के पीछे असली कारण
विशेषज्ञों की टीम – ICMR, AIIMS नागपुर, NIV और NEERI के एक्सपर्ट्स – अभी भी जांच में जुटे हैं। लेकिन शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, इन खांसी की दवाओं में मौजूद DEG बच्चों के किडनी फेलियर की वजह बन रहा है। यही कारण है कि दवा पीते ही बच्चों की हालत बिगड़ रही है और उनकी मौत हो रही है। केवल मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि राजस्थान में भी इसी तरह के मामले सामने आ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की नई एडवाइजरी
छिंदवाड़ा कांड के बाद प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट हो गया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि 2 साल से छोटे बच्चों को किसी भी तरह की खांसी की दवा न दें। वहीं, 5 साल से छोटे बच्चों को भी केवल डॉक्टर की सलाह पर ही दवा दें। अगर खांसी ज्यादा बढ़ जाए तो तुरंत जांच करवाएं और केवल डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा ही सही मात्रा में दें।
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जनता से अपील और अगली कार्रवाई
सीएम मोहन यादव ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने तमिलनाडु की कंपनी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी माता-पिता से अपील की है कि बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी बच्चे को खांसी की दवा न दें।