Charcha Chaurahe Ki – जिले के राजनैतिक हलकों में यह चर्चा आम हो रही है कि एक बड़े राजनैतिक दल के उम्मीदवार चुनाव के बाद फिर चर्चा में आ जाते हैं जबकि सामान्यत: चुनाव लडऩे के बाद उम्मीदवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है लेकिन बैतूल क्षेत्र में ऐसा नहीं है। चर्चा है कि एक उम्मीदवार ने चुनाव के बाद चार पहिया वाहन खरीदा था और अब फिर चुनाव के बाद चुनावी फण्ड की दबाई राशि से मकान खरीदने की तैयारी की जा रही है। वैसे तो 2007-2008 के दौरान भी ऐसा ही कुछ हो चुका है। जब एक उम्मीदवार ने चुनाव के बाद दो मकान खरीद लिए थे।
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वैसे भी पूरे क्षेत्र में छुटभैये नेता और संगठन के कुछ पदाधिकारी भी जो चुनावी फण्ड से वंचित रहे उनका कहना है कि पार्टी द्वारा जो राशि हमें प्रचार-प्रसार के काम के लिए मिलनी थी उस राशि से उम्मीदवार पहले चार पहिया वाहन खरीदते हैं और मकान खरीदने की तैयारी कर रहे हैं और हम पूरे चुनाव भर समोसे-बड़े तक के लिए तरस गए है।
प्रदेश के राजनैतिक हल्कों में यह भी चर्चा होते रहती है कि प्रदेश के एक राजनैतिक दल में मध्यप्रदेश के कई दिग्गज नेता लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए सीट ढूंढते रहते हैं। भोपाल में रहने वाले सागर में चुनाव लड़ते हैं। नरसिंहपुर में रहने वाले जबलपुर में चुनाव लड़ते हैं।
दिल्ली, मुम्बई, नागपुर और भोपाल में रहने वाले बैतूल से चुनाव लड़ते हैं। इन नेताओं को यह मालूम रहता है कि वे चुनाव जीतेंगे नहीं लेकिन ऐसे नेताओं को चुनाव लडऩे से दो फायदे होते हैं पहला पार्टी की मुख्यधारा में बने रहते हैं और दूसरा चुनावी फण्ड डकारने का राजनैतिक अवसर मिल जाता है। और यह परंपरा राजनैतिक दलों में अभी से नहीं सन 1980 से चली आ रही है और आज भी यह परंपरा कायम है।