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CBSE Credit Point | क्रेडिट सिस्टम लागू होने से स्टूडेंट्स की होगी बल्ले-बल्ले

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जाने क्या है क्रेडिट पॉइंट सिस्टम

CBSE Credit Pointअगर आपका बच्चा छठी, नवीं या 11वीं कक्षा का छात्र है, तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है। CBSE ने आगामी शैक्षणिक सत्र, अर्थात 2024-25 सत्र से स्कूलों में क्रेडिट सिस्टम को शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके अनुसार, छठी, नवीं और 11वीं कक्षा तक हर वर्ग में छात्रों को कम से कम 1200 घंटे पूरी करने पर 40 क्रेडिट प्वाइंट्स प्राप्त होंगे। क्रेडिट प्वाइंट क्या है और इससे आपके बच्चों को कैसे लाभ होगा, इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

अब स्कूलों में पहली बार क्रेडिट सिस्टम का प्रयोग होने जा रहा है, जिससे स्टूडेंट्स के अध्ययन के घंटे क्रेडिट में संग्रहित होंगे। CBSE ने मौजूदा शैक्षणिक वर्ष से क्लास 6, 9 और 11 के लिए ‘नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क’ पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने का फैसला किया है। CBSE ने स्कूलों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस सत्र में क्रेडिट सिस्टम को लागू करने के निर्देश दिए हैं।

वास्तव में, एक एकेडमिक वर्ष में छात्रों को 1200 नेशनल लर्निंग आवर्स प्राप्त होते हैं। इसका अर्थ है कि बच्चे एक वर्ष में लगभग 12 सौ घंटे अध्ययन करते हैं। अब यह लर्निंग आवर्स छात्रों की प्रत्येक कक्षा में उनके एकेडमिक क्रेडिट बैंक में जोड़े जाएंगे। ये क्रेडिट सभी विषयों में परीक्षा पास करने पर प्राप्त होंगे और ये मार्कशीट पर अंक या ग्रेड के साथ दर्ज किए जाएंगे।

इसके अलावा, CBSE बोर्ड के छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल, नृत्य, संगीत, अतिरिक्त कक्षाएं और अन्य गतिविधियों के लिए भी क्रेडिट यानी नंबर प्राप्त होंगे। हर गतिविधि पर छात्र को क्रेडिट यानी नंबर दिए जाएंगे।

अब सवाल यह है कि छात्रों को क्रेडिट प्वाइंट्स कैसे प्राप्त होंगे। छात्रों को निम्नलिखित कार्यों को पूरा करना होगा।

क्लास में कम से कम 1200 घंटे की पढ़ाई करने पर 40 क्रेडिट प्वाइंट्स प्राप्त होंगे।

अर्थात, छात्रों को एक वर्ष में 1200 घंटे की उपस्थिति दर्ज करनी होगी।

इस अवधि के दौरान स्कूल को शिक्षा के अकादमिक और अकादमिक दोनों क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करना होगा।

इस प्रणाली के अनुसार, नौवीं कक्षा में वार्षिक 1050 घंटे की पढ़ाई पूरी करने पर छात्रों को 40 से 54 क्रेडिट प्वाइंट्स प्राप्त होंगे।

ये क्रेडिट प्रत्येक पांच विषयों में परीक्षा पास करने पर ही प्राप्त होंगे।

इसके लिए वार्षिक रूप से कक्षा में 75% उपस्थिति अनिवार्य होगी।

क्रेडिट सिस्टम के लाभ से छात्रों को एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों के लिए भी नंबर प्राप्त होंगे। साथ ही, क्रेडिट ट्रांसफर के जरिए किसी भी शिक्षा पद्धति में प्रवेश पाना सरल हो जाएगा। क्रेडिट सिस्टम को विकसित देशों में शिक्षा व्यवस्था में प्रयोग किया जाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि छात्र के पढ़ाई या सीखने में कितना वर्कलोड था, चाहे वह कोई भी एकेडमिक विषय हो, किसी कौशल पर काम हुआ हो या फिर गैर-अकादमिक गतिविधियों में भाग लिया हो।

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