राज्यमंत्रियों को दिए गए कार्यों को लेकर असंतोष की स्थिति उभरी
Cabinet minister: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार में राज्यमंत्रियों को दिए गए कार्यों को लेकर असंतोष की स्थिति उभर रही है। राज्य मंत्रियों को मिले काम सीमित और अपेक्षाकृत छोटे हैं, जिससे उनमें नाराजगी बढ़ रही है। अधिकांश कैबिनेट मंत्रियों ने राज्यमंत्रियों को केवल दो प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी हैं:
- विधानसभा से आने वाले विभागीय सवालों के जवाब देखना, खासतौर से अतारांकित प्रश्नों का जवाब देना।
- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादलों से संबंधित फाइलें देखना।
यहां तक कि अधिकांश राज्यमंत्रियों को महकमे के प्रमुख कार्यों में भागीदारी का मौका नहीं मिल रहा है। केवल स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को 20 करोड़ रुपए तक के कार्यों के साथ उप स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के टेंडर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बाकी मंत्रियों को अपेक्षाकृत मामूली काम दिए गए हैं, जिससे वे अपने प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं और अधिक जिम्मेदारियां चाहते हैं।
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मुख्यमंत्री पर बढ़ता कार्यभार
मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास खुद 10 से अधिक विभागों का कार्यभार है, जिनमें गृह, सामान्य प्रशासन, खनिज साधन, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन जैसे महत्वपूर्ण विभाग शामिल हैं। इतने विभागों की जिम्मेदारी से मुख्यमंत्री पर अत्यधिक कार्यभार है, जिससे अन्य मंत्रियों को काम सौंपने में कठिनाई हो रही है।
कैबिनेट मंत्रियों की स्थिति
कुछ कैबिनेट मंत्री भी इस स्थिति से असंतुष्ट हैं। उदाहरण के लिए, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के मंत्री राकेश शुक्ला का विभाग का बजट मात्र 63.86 करोड़ रुपये है, जो सभी मंत्रियों में सबसे कम है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री नागर सिंह चौहान ने भी अतिरिक्त विभागों की मांग की है, क्योंकि पहले उन्हें वन विभाग का कार्यभार दिया गया था, जिसे बाद में हटा लिया गया।
स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों की स्थिति
स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री भी अपनी सीमित जिम्मेदारियों से नाखुश हैं। कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री दिलीप जायसवाल, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री गौतम टेटवाल, और मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास मंत्री नारायण सिंह पंवार को भी बड़े कार्यभार नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनकी फाइलें बमुश्किल ही उन तक पहुंच पाती हैं। यह स्थिति राज्य सरकार के भीतर कामकाज के बंटवारे में असंतुलन और असंतोष को दर्शाती है, जिससे मंत्रियों के बीच असंतोष बढ़ रहा है।
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