Brahmaji Temple: उज्जैन में ब्रह्माजी मंदिर के मिले प्रमाण

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Brahmaji Temple:राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्माजी का मंदिर प्रसिद्ध है, और इसे देश में ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर माना जाता है। हालांकि, मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी ब्रह्माजी के मंदिर के अस्तित्व के प्रमाण मिले हैं। यह मंदिर मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के रामघाट पर स्थित है। पुरातत्वविदों का मानना है कि यहां कभी ब्रह्माजी का एक विशाल मंदिर था, जिसे आक्रमणकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। बाद में, घाट के जीर्णोद्धार के दौरान इस मंदिर के अवशेष और ब्रह्माजी की मूर्ति को पुनः स्थापित किया गया।

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मूर्ति शिल्प की विशेषताएँ:

विक्रम विश्वविद्यालय के पुराविद डॉ. रमण सोलंकी के अनुसार, उज्जैन में प्राचीन काल से ही मंदिरों की शृंखला रही है और यहां की मूर्तिकला भी अद्वितीय है। परमार काल के राजा भोज ने यहां कई मंदिर और मूर्तियां बनवाई थीं। इसी समृद्ध शिल्प और मूर्तिकला का प्रमाण रामघाट पर भगवान ब्रह्मा और अग्निदेवता की मूर्तियों के रूप में मिलता है। ये मूर्तियां करीब एक हजार साल पुरानी मानी जाती हैं और इनका निर्माण परमार काल में हुआ था।ब्रह्माजी की चतुर्मुखी मूर्ति उच्चकोटि की मानी जाती है, जिसमें तीन मुख स्पष्ट रूप से सामने दिखाई देते हैं और चौथा मुख दीवार में दबा हुआ है। उनके हाथ में यज्ञ में आहुति देने के लिए श्रुवा (चम्मच) दिखाई देती है, जो यज्ञ की महत्वपूर्ण भूमिका दर्शाता है। इस मूर्ति के शिल्प में ब्रह्माजी के भव्य मंदिर की पुष्टि होती है।

उत्कीर्ण शैली की मूर्ति:

तीर्थपुरोहित पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, रामघाट की सीढ़ियों पर स्थापित ब्रह्माजी की मूर्ति उत्कीर्ण शैली में बनाई गई है, जो परमार काल की संस्कृति का नमूना है। माना जाता है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था, जिसे समय के साथ तोड़ा गया और बाद में इसे फिर से स्थापित किया गया। प्राकृतिक आपदाओं के कारण मूर्ति प्रभावित हुई, लेकिन आज भी यह रामघाट की सीढ़ियों पर विराजमान है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है।

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