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Bihar Elections 2025: अमित शाह के निकलते ही पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा, बिहार की सियासत में फिर आया नया ट्विस्ट

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Bihar Elections 2025 News in Hindi: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल अपने चरम पर है। सीट बंटवारे को लेकर एनडीए (NDA) और महागठबंधन (Mahagathbandhan) दोनों ही खेमों में सियासी घमासान जारी है। वहीं, एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के रुख ने गठबंधन की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इसी बीच एक बड़ा सियासी ट्विस्ट सामने आया है — अमित शाह (Amit Shah) के निकलते ही दिल्ली पहुंचे कुशवाहा, जिससे चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

अमित शाह के निकलते ही पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा

दिल्ली में बुधवार सुबह सियासी गलियारों में हलचल मच गई जब यह खबर आई कि गृह मंत्री अमित शाह अपने आवास से निकल चुके हैं, और कुछ ही देर बाद उपेंद्र कुशवाहा वहां पहुंच गए। माना जा रहा था कि कुशवाहा सीधे शाह से मुलाकात करेंगे और सीट बंटवारे पर अपनी नाराजगी व्यक्त करेंगे। लेकिन शाह के निकलने के बाद इस बैठक के टल जाने से अटकलों का दौर तेज हो गया है।

सीट बंटवारे पर एनडीए में बढ़ी खींचतान

बिहार एनडीए में बीजेपी (BJP), जेडीयू (JDU), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और हम (Hindustani Awam Morcha) शामिल हैं। रविवार को सीटों का बंटवारा घोषित किया गया था, जिसमें बीजेपी और जेडीयू को 101-101 सीटें, एलजेपी (रामविलास) को 29, और आरएलएम व हम को 6-6 सीटें दी गईं।
सूत्रों के अनुसार, उपेंद्र कुशवाहा इस बंटवारे से असंतुष्ट हैं और वे अपनी पार्टी के लिए अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं।

महागठबंधन में भी मचा घमासान

उधर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक (INDIA Alliance) में भी सीटों को लेकर माथापच्ची जारी है। कांग्रेस, राजद, सीपीआई(एमएल), सीपीआई, सीपीएम और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी के बीच तालमेल पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है। बिहार की राजनीति में यह रस्साकशी एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों के लिए सिरदर्द बन चुकी है।

दिल्ली में सियासी हलचल तेज

अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात को लेकर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुशवाहा की बढ़ती नाराजगी एनडीए के समीकरण को प्रभावित कर सकती है। वहीं, शाह के अचानक निकल जाने को कुछ लोग “राजनीतिक रणनीति” भी मान रहे हैं।

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क्या एनडीए में दरार की शुरुआत?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या उपेंद्र कुशवाहा का यह कदम एनडीए में दरार की शुरुआत है या सिर्फ दबाव की राजनीति। कुशवाहा पहले भी जेडीयू और एनडीए दोनों से नाता तोड़ चुके हैं और कई बार अपने सियासी पत्ते आखिरी वक्त पर पलट चुके हैं। अब देखना यह होगा कि अमित शाह और कुशवाहा की मुलाकात कब होती है और इस मुलाकात से क्या नया समीकरण निकलकर आता है।

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