Bihar Election Muslim Vote Bank 2025: बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ़ चुकी है और अब सबकी नज़र इस बार मुस्लिम वोट बैंक पर टिकी हुई है।क्योंकि जिस ओर मुसलमानों का झुकाव होगा, वही सत्ता की कुर्सी तक पहुंच सकता है।क्या इस बार मुस्लिम वोट RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन (Mahagathbandhan) के साथ रहेगा या AIMIM और NDA को मिलेगा नया समर्थन? जानिए किस तरफ झुकेगा बिहार का सबसे बड़ा वोट बैंक।
1. बिहार में मुस्लिम आबादी का असर
बिहार की राजनीति में मुसलमान वोटरों की भूमिका हमेशा से निर्णायक रही है।
राज्य में कुल 51 मुस्लिम-बहुल विधानसभा सीटें हैं।
इनमें सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी सीमांचल इलाके में है — किशनगंज (68%), कटिहार (45%), अररिया (43%) और पूर्णिया (38%)।
यानी, जो भी दल इन जिलों में जीत हासिल करता है, वह आधी जंग पहले ही जीत लेता है।
2. 2020 में NDA का प्रदर्शन
2020 के विधानसभा चुनाव में सबको चौंकाते हुए NDA ने मुस्लिम-बहुल सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया था।
BJP और उसके सहयोगियों ने 51 में से 35 सीटें जीतीं, यानी लगभग 70% की स्ट्राइक रेट।
इससे साफ हुआ कि NDA ने सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, हालांकि पारंपरिक तौर पर ये इलाका RJD का गढ़ माना जाता रहा है।
3. 2015 में क्यों गिरी BJP की पकड़
2015 के चुनाव में BJP और JDU अलग-अलग लड़े थे।
इस वजह से NDA की सीटों में भारी गिरावट आई और महागठबंधन ने बाजी मार ली।
हालांकि BJP तब भी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
उस समय मुस्लिम वोट बैंक पूरी तरह RJD और कांग्रेस के खाते में गया था, जिससे लालू यादव की पार्टी को बड़ा फायदा हुआ।
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4. AIMIM की बढ़ती दखल
पिछले कुछ वर्षों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल में अपनी पकड़ बढ़ाई है।
किशनगंज, अररिया और कटिहार जैसे जिलों में AIMIM का असर दिखाई देने लगा है।
यदि इस बार मुस्लिम वोटर AIMIM की ओर झुकते हैं, तो यह RJD के वोट बैंक को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है।





