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बिहार विधानसभा चुनाव: त्योहारों के मद्देनज़र तारीखों पर विचार कर रहा चुनाव आयोग, दिवाली-छठ के बीच नहीं होंगे चुनाव

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बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव में अभी काफी वक्त है, लेकिन यहां पर सियासी हलचल काफी बढ़ गई है. राजनीतिक रैलियों का दौर भी शुरू हो चुका है. अब सबकी नजर इस पर है कि राज्य में चुनाव की तारीखों का ऐलान कब होगा और यह कितने चरणों में कराया जाएगा. इस बीच बड़ी खबर है आ रही है कि चुनाव के लिए दिवाली और छठ पर्व का भी खास ध्यान रखा जाएगा. सूत्रों का यह भी कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव दो से तीन चरणों में कराया जा सकता है. साथ ही दीवाली और छठ पर्व को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीख तय की जाएगी. बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को खत्म हो रहा है, उससे पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी होना आवश्यक है.

तारीखों के ऐलान से पहले बिहार का दौरा
पिछला विधानसभा चुनाव (2020) 3 चरणों में जबकि 2015 में 5 चरणों में चुनाव कराए गए थे. अब चुनाव आयोग बिहार में चुनाव कराने को लेकर अपनी तैयारी में जुट गया है. तारीखों के ऐलान से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस महीने बिहार का दौरा करने वाले हैं.

चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले चुनाव आयोग अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दे रहा है, साथ ही वह राजनीतिक दलों को भी जागरूक कर रहा है. आयोग अपने कर्मचारियों को बता रहा है कि जब आयोग की ओर से वोटर लिस्ट उनके पास भेजी जाती है तो उनको शामिल होने या हटाए जाने का शक होने पर उनके पास शिकायत और अपील करने का मौका है, उसका इस्तेमाल करें ताकि फाइनल वोटर लिस्ट के प्रकाशन से पहले उनकी शिकायतों और अपील पर गौर किया जा सके.

BLO को दी जा रही सत्यापन की जिम्मेदारी
आयोग की कोशिश है कि कुछ महीने पहले महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में चुनाव के दौरान वोटर लिस्ट को लेकर जिस तरह के आरोप लगे, वैसे आरोप इस बार बिहार चुनाव में न लगे. इसीलिए बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की ट्रेनिंग भी गई है. सभी बीएलओ को पहचान पत्र भी दिए जाएंगे ताकि वे घर-घर जाकर सत्यापन कर सकें. बिहार में वोटर लिस्ट अपडेट कराने के लिए खासतौर पर अभियान चलाया जाएगा ताकि 18 साल की उम्र के नौजवानों के नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा जा सके.

साथ ही चुनाव आयोग ने अब ECINET शुरू करने का फैसला किया है, यह इंटीग्रेटेड डैशबोर्ड है जो सारी सुविधाएं एक ही जगह दे देता है, जबकि इससे पहले इन सब के लिए 40 ऐप और वेबसाइट का उपयोग करना होता था. माना जा रहा है कि बिहार चुनाव तक यह पूरी तरह उपयोग में आने लगेगा. आयोग ने विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोपों के बाद कई कदम उठाए हैं. अब डुप्लीकेट EPIC नंबर नहीं होंगे, इन्हें खत्म कर दिया गया है.

पोलिंग बूथ पर कम होंगे वोटर लिस्ट
साथ ही मरने वालों के आंकड़े रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से जोड़ दिए गए हैं ताकि मर चुके वोटर्स के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएं. आयोग बिहार में चुनाव के दौरान वोटर्स को कई नई सुविधाएं देने की योजना पर काम कर रहा है. अब एक पोलिंग बूथ पर 1500 की जगह अधिकतम 1200 वोट ही रहेंगे. साथ ही घनी आबादी वाले इलाकों में अतिरिक्त पोलिंग बूथ भी बनाए जाएंगे. इसके अलावा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वोट देने के लिए किसी भी वोटर को 2 किलोमीटर से अधिक न चलना हो. नई व्यवस्था के तहत अब हाइराइज बिल्डिंग्स में भी पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे. पोलिंग बूथ के बाहर मोबाइल जमा करने की सुविधा होगी.

सूत्रों के अनुसार, वोटर स्लिप पर सीरियल और पार्ट नंबर बिल्कुल साफ और बड़े अंकों में लिखे होंगे ताकि ढू्ंढने में आसानी हो. चुनाव आयोग एआई की चुनौती से निपटने को भी तैयार है. जल्द ही चुनाव आयोग में एक सेल का गठन किया जाएगा जहां एआई, डीप फेक से जुड़े मुद्दों पर नजर रखी जाएगी. चुनाव आयोग पहले ही राजनीतिक दलों को इस मामले में एडवाइजरी दे चुका है कि वे एआई से बनाई गई प्रचार सामग्री में यह स्पष्ट तौर पर लिखें कि यह एआई से बनाया गया है ताकि वोटर्स को इसकी जानकारी रहे.

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