Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

दिल्ली बीजेपी में बड़ा संगठनात्मक बदलाव, 14 नए जिला अध्यक्ष घोषित

By
On:

दिल्ली: दिल्ली की सत्ता और सियासत पूरी तरह से बीजेपी अपने नाम कर चुकी है. दिल्ली के सीएम पद से लेकर मेयर की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद बीजेपी ने अपनी राजनीतिक जड़े जमाने के लिए संगठन को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. बीजेपी ने सोमवार को दिल्ली जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ-साथ संसदीय प्रदेश परिषद के सदस्यों के नाम का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने दिल्ली में अपने 14 जिला अध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने 14 में से 11 जिलों के अध्यक्ष बदल दिए हैं और उनकी जगह नए चेहरों को कमान सौंपी है. बीजेपी ने अपने तीन पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है. ऐसे ही दिल्ली की संसदीय परिषद में 105 सदस्यों को नियुक्त किया है, जिसमें मौजूदा 48 विधायकों में से 15 विधायक को ही जगह दी गई. संसदीय परिषद में बीजेपी ने दूसरे दलों से आए नेताओं को खास तवज्जो दी है.

बीजेपी ने बदले जिला अध्यक्ष
दिल्ली के 14 जिला अध्यक्षों की घोषणा बीजेपी ने कर दी है, जिसमें मयूर विहार, शाहदरा और पश्चिमी दिल्ली के जिला अध्यक्ष अपनी कुर्सी बचाए रख सके हैं. जबकि बाकी जिला अध्यक्ष बदल दिए हैं. बीजेपी ने 11 जिला अध्यक्षों को बदल दिया है, उनकी जगह पर नए चेहरे या पूर्व में इस पद पर रह चुके अनुभवी नेताओं को जिम्मा सौंपा है. इस तरह से प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अपनी एक मजबूत टीम बनाई है.

बीजेपी के जिला अध्यक्ष की फेहरिश्त
शाहदरा जिला का अध्यक्ष दीपक गाबा को बनाया गया तो मयूर विहार की कमान विजेंद्र धामा, चांदनी चौक का अरविंद गर्ग, करोल बाग का वीरेंद्र बब्बर, महरौली का रवीन्द्र सोलंकी, न्यू शाहदरा का मास्टर विनोद, नार्थ ईस्ट जिला अध्यक्ष यू के चौधरी को बनाया है. केशवपुरम का अजय खटाना और उत्तर पश्चिम का विनोद सहरावत, नई दिल्ली का रविंद्र चौधरी, बाहरी दिल्ली का रामचंद्र चावरिया, दक्षिण दिल्ली का माया बिष्ट, पश्चिमी जिले की कमान चंद्रपाल बख्शी और नजफगढ़ का जिला अध्यक्ष राज शर्मा गौतम को बनाया है. घोषित जिला अध्यक्षों में विजेंद्र धामा मयूर विहार, दीपक गाबा शाहदरा एवं चंद्रपाल बख्शी पश्चिमी दिल्ली वर्तमान में भी जिला अध्यक्ष हैं. पहली बार दो महिलाओं, नजफगढ़ से राज शर्मा गौतम और दक्षिणी दिल्ली से माया बिष्ट को जिला अध्यक्ष का दायित्व दिया गया है. अरविंद गर्ग, विनोद सहरावत, वीरेंद्र बब्बर एवं मास्टर बिनोद कुमार पूर्व में भी इन्हीं जिलों के अध्यक्ष रह चुके हैं. इस तरह पुराने और नए नेताओं का संतुलन बनाने की कोशिश की है.

बीजेपी के संसदीय परिषद सदस्य
दिल्ली बीजेपी ने संसदीय प्रदेश परिषद का भी गठन कर दिया है. 105 सदस्यों में मंत्री कपिल मिश्रा, विधायक पवन शर्मा, कैलाश गहलोत, करतार सिंह तंवर, प्रद्युम्न राजपूत, संदीप सहरावत, राजकुमार चौहान, नीरज बसोया, अनिल शर्मा, राजकुमार भाटिया, तिलक राम गुप्ता, पूनम भारद्वाज, जितेंद्र महाजन, कुलवंत राणा व शाम शर्मा, पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी, पूर्व महापौर सुभाष आर्य, प्रीति अग्रवाल व नरेंद्र चावला, प्रदेश पदाधिकारी सुनीता कांगड़ा, विनय रावत, नरेश कुमार ऐरन, सारिका जैन, डॉ. सुमित भसीन व प्रवीण शंकर कपूर शामिल हैं. बीजेपी की 105 सदस्यीय प्रदेश परिषद में पार्टी के मौजूदा 48 विधायकों में से केवल 15 को ही जगह दी गई है. बीजेपी ने अपने नेताओं की अपेक्षा उन नेताओं को प्राथमिकता दी है जो विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी या कांग्रेस छोड़कर पार्टी में आए हैं. प्रदेश परिषद में शामिल किए गए 15 विधायकों में से चार ऐसे हैं, जो पहले अन्य दलों से निर्वाचित हो चुके हैं. इनमें आम आदमी पार्टी से निर्वाचित रहे कपिल मिश्रा, कैलाश गहलोत, करतार सिंह तंवर, कांग्रेस से विधायक रहे राजकुमार चौहान और नीरज बसोया को तवज्जो दी गई है.

प्रदेश परिषद की सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा का है. दिल्ली सरकार के मंत्रियों में से उनको ही परिषद का सदस्य बनाया गया है. मिश्रा भी आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. इसी तरह केजरीवाल सरकार में मंत्री रह चुके और 2025 में बीजेपी टिकट पर पटेल नगर से विधानसभा चुनाव हार चुके राजकुमार आनंद को भी प्रदेश परिषद में शामिल किया गया है. दक्षिण दिल्ली से सांसद रहे रमेश बिधूड़ी को भी परिषद का सदस्य बनाया गया है.

दलबदलुओं को मिली तवज्जो
बीजेपी ने संसदीय परिषद में जिस तरह से दूसरे दलों आए नेताओं को तवज्जो दी है, उसके चलते पार्टी में असंतोष पनप सकता है. बीजेपी को अपनों की अनदेखी कर दूसरे दलों से आए नेताओं को अहमियत देना महंगा पड़ सकता है, क्योंकि भाजपा ने कई पुराने और सक्रिय नेताओं को सूची से बाहर रखा है. भाजपा की प्रदेश परिषद प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका निभाती है. चुनाव की स्थिति बने तो यही सदस्य मतदान करते हैं. दिल्ली की सत्ता में लौटने के बाद से बीजेपी दूसरे दलों से आए नेताओं पर खास मेहबान रही है.

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News