Big Blow NDA alliance: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। टिकट कटने से नाराज़ बीजेपी के आठ दिग्गज नेता अब पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। इन नेताओं ने न सिर्फ बगावत का झंडा बुलंद किया है, बल्कि कई ने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान भी कर दिया है।
1. बिहार चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका
बिहार में बीजेपी ने 101 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लेकिन, टिकट बंटवारे के बाद पार्टी के भीतर असंतोष का माहौल है। लगभग 17 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं मिला, जिससे कई वरिष्ठ नेता नाराज़ हैं। इनमें से कई नेताओं ने अब खुलेआम एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
2. किन 8 नेताओं ने की बगावत?
1. हेमंत चौबे (बक्सर-चैनपुर): दिवंगत नेता लालमुनी चौबे के बेटे हेमंत चौबे को जन सुराज पार्टी से टिकट मिला है। स्थानीय कार्यकर्ताओं में उनके प्रति सहानुभूति देखने को मिल रही है।
2. राखी गुप्ता (छपरा): बीजेपी ने छोटी कुमारी को टिकट दिया, जिससे नाराज़ होकर पूर्व मेयर राखी गुप्ता ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया।
3. कुसुम देवी और अनुप लाल श्रीवास्तव (गोपालगंज): कुसुम देवी का टिकट काटकर सुभाष सिंह को प्रत्याशी बनाया गया। दोनों नेताओं ने पार्टी से नाराज़ होकर खुली बगावत कर दी।
4. पूतुल कुमारी (बांका): पूर्व सांसद और बीजेपी उपाध्यक्ष पूतुल कुमारी ने टिकट न मिलने पर पार्टी छोड़ दी और चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इसके बाद पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।
5. रामप्रवेश राय (बरौली): वर्तमान विधायक रामप्रवेश राय ने टिकट न मिलने के बाद खुलेआम विद्रोह कर दिया है।
6. सच्चिदानंद राय (महराजगंज): बीजेपी एमएलसी सच्चिदानंद राय ने कहा, “हमें हटाओ, हमें फर्क नहीं पड़ता,” और स्वतंत्र चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
7. लाल बाबू प्रसाद (ढाका-मोतिहारी): वरिष्ठ नेता लाल बाबू प्रसाद को जन सुराज पार्टी ने टिकट दिया है। इससे इस सीट पर बीजेपी का वोट बैंक टूट सकता है।
8. अर्जित शाश्वत चौबे और प्रशांत विक्रम (भागलपुर): केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत और वरिष्ठ नेता प्रशांत विक्रम ने भी टिकट न मिलने पर स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया।
3. पार्टी की मुश्किलें बढ़ीं
इन बगावतों से बीजेपी के सामने डैमेज कंट्रोल की चुनौती खड़ी हो गई है। कई सीटों पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों को अब अपनों से ही मुकाबला करना पड़ रहा है। ऐसे में एनडीए के लिए यह चुनाव आसान नहीं दिख रहा।
जन सुराज पार्टी का रोल अहम
जन सुराज पार्टी ने इस बार कई असंतुष्ट बीजेपी नेताओं को टिकट देकर एनडीए की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। स्थानीय स्तर पर यह पार्टी अब बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।
क्या एनडीए में दरार गहराएगी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ये बागी नेता अपने प्रभाव वाले इलाकों में मजबूत प्रदर्शन करते हैं, तो एनडीए के लिए कई सीटें खतरे में पड़ सकती हैं। बीजेपी के लिए अब इन असंतुष्ट नेताओं को मनाना या नुकसान सीमित करना बड़ी चुनौती बन गई है।





