राजनीति में एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान चर्चा का केंद्र बने
Big bet: भोपाल: मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। प्रदेश की राजनीति को कुछ समय के लिए छोड़कर शिवराज अब केंद्र सरकार में सक्रिय हो गए हैं, जहां वह कृषि और ग्रामीण पंचायत जैसे अहम विभागों का प्रभार संभाल रहे हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश में उन्हें एक बार फिर से सियासी चेहरा बनाने की तैयारी हो रही है।दरअसल, बुधनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है, जिसकी तारीखों की घोषणा हो चुकी है। यह सीट शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। शिवराज यहां से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं। 2006 के बाद यह पहला मौका है जब बुधनी में चुनाव होंगे और शिवराज उम्मीदवार नहीं होंगे। बीजेपी अब उनकी लोकप्रियता का फायदा उठाने के लिए किसी ऐसे उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है, जो शिवराज का करीबी हो।
बुधनी में तीसरी बार हो रहा उपचुनाव
बुधनी विधानसभा सीट पर यह तीसरी बार उपचुनाव हो रहा है। इससे पहले दो उपचुनावों में भी बीजेपी को जीत मिली थी, और इन सभी चुनावों का शिवराज सिंह से कनेक्शन रहा है। 1990 में शिवराज यहां से विधायक बने थे, लेकिन 1992 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 2006 में भी इसी तरह का उपचुनाव हुआ, जब उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था।
क्या बेटे कार्तिकेय को मिल सकता है टिकट?
2023 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी से 1 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। अब बीजेपी के सामने चुनौती है कि इस रिकॉर्ड को कैसे बरकरार रखा जाए। ऐसी अटकलें हैं कि इस बार शिवराज के बेटे कार्तिकेय को टिकट मिल सकता है। चाहे उम्मीदवार कोई भी हो, चुनाव शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा से जुड़ा होगा। वहीं, शिवराज के चुनाव मैदान में नहीं होने के कारण कांग्रेस भी अपनी रणनीति को मजबूती से तैयार कर रही है।
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