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Bhagwat Katha – श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह में खेली गई फूलों की होली

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श्रीमद् भागवत कथा का आज सातवें दिन समापन

Bhagwat Kathaबैतूल श्रीमद् भागवत कथा के छटवें दिन भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी विवाह प्रसंग के साथ ही महारास और फूलों की होली में श्रोता झूम उठे। आज श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का हवन पूजन के साथ समापन हुआ। जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व विधायक राधाकृष्ण गर्ग, श्रीमती हेमलता गर्ग एवं गर्ग परिवार के द्वारा गर्ग कम्पाउंड गंज बैतूल में 8 अक्टूबर से श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ शुरू हुआ था। प्रसिद्ध कथा वाचक पं. अखिलेश परसाईं के मुखारबिंद से श्रोताओं को कथा का रसपान कराया गया।

कथा में छटवें दिन सुनाया श्रीकृष्ण विवाह का वृतांत

कथा के छटवें दिन भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी जी के विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि रुकमणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्री कृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। भगवान श्री श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की कहानी अनोखी है। रुकमणी बिना देखे ही श्रीकृष्ण को चाहने लगी थी। जब उनका विवाह शिशुपाल से तय हुआ तो कृष्ण रुक्मणी का हरण करके द्वारका ले आए।

रुक्मणी ने भेजा था पत्र | Bhagwat Katha

द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण और राधा के प्रेम की कहानियां तो हम अक्सर सुनते आए हैं मगर श्री कृष्ण और राधा का कभी विवाह नहीं हुआ था श्री कृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था रुक्मणी ने कृष्ण को कभी नहीं देखा था फिर वह उन्हें बहुत चाहती थी रुक्मणी ने ठान लिया कि वह विवाह सिर्फ श्री कृष्ण से करेगी। नहीं तो अपने प्राण त्याग कर देगी। उन्होंने अपनी एक सखी के माध्यम से श्री कृष्ण को संदेश भिजवाया रुक्मणी ने संदेश में कहलवाया की वह श्री कृष्णा जी से प्रेम करती है जैसे ही श्री कृष्ण के पास संदेश पहुंचा वह चकित रह गए।

रुक्मणी का श्रीकृष्ण ने किया हरण

द्वारकाधीश ने भी रुकमणी की सुंदरता और बुद्धि माता के बारे में बहुत सुन रखा था। संदेश मिलते ही श्री कृष्ण विदर्भ पहुंच गए। जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आया तभी कृष्ण ने रुक्मणी का हरण कर लिया। जब रुक्मणी के भाई रुक्मी को पता चला तो अपने सैनिकों के साथ कृष्ण के पीछे गया। श्री कृष्ण और रुक्मी के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें द्वारकाधीश विजयी हुए इसके बाद श्री कृष्ण रुकमणी को लेकर द्वारका आ गए और दोनों ने विवाह कर लिया।

नैना और सौरभ बने श्रीकृष्ण-रुक्मणी | Bhagwat Katha

कथा के दौरान भागवत कथा के यजमान नवनीत गर्ग, श्रीमती नेहा गर्ग के बेटी-दामाद सौरभ अग्रवाल और नैना अग्रवाल भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी बने थे। इस दौरान दोनों का भगवान के रूप दोनों के विवाह की सभी रस्में पूरी की गई। इस दौरान वरमाला से लेकर पैर पूजने के साथ-साथ ही महारास और फूलों की होली का भी आयोजन किया गया। भागवत कथा के पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु यह दृश्य देखकर भावविभोर हो उठे।

श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन देख भावुक हुए सभी

श्रीमद् भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण के मित्र सुदामा के मिलन का प्रसंग ने भी श्रोताओं को भावुक कर दिया। गर्ग परिवार से जुड़े श्री गर्ग के रायपुर से आए राजीव पाठक सुदामा बने थे। इस दौरान जब भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा का मिलन हुआ तो देखते ही बन रहा था। भगवान श्रीकृष्ण को अपने पास बैठाया और फिर उनके पैर धोए।

आज हुआ कथा का समापन | Bhagwat Katha

गर्ग कम्पाउंड में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का आज सातवें दिन समापन हुआ। सुबह सबसे पहले प्रवचन हुए। इसके पश्चात हवन पूजन के साथ ही कथा का समापन हुआ। गर्ग परिवार से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत गर्ग, कथा के यजमान नवनीत गर्ग, भाजपा नेता मोहित गर्ग, युवा अधिवक्ता सजल गर्ग, श्रीमती आभा गर्ग, श्रीमती नेहा गर्ग, श्रीमती विनीता गर्ग, श्रीमती विधि गर्ग ने सात दिनों तक कथा का श्रवण करने आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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