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बैतूल:-मंडी व्यापारियों के लिए है किसानों के लिए नहीं!

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सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल:-
कृषि उपज मंडियों की स्थापना सरकार द्वारा किसानों के उत्थान और सुविधा के लिए की गई थी, पर ऐसा लगता है कि बैतूल मंडी किसानों के लिए नहीं व्यापारियों के लिए काम करती है
अन्नदाता महीनों की मेहनत और परेशानियों से जूझकर अन्न पैदा करता है जैसे तैसे उसे लेकर मंडी परिसर में पहुंचता है तो पहले उसे मंडी में व्यापारी ढूंढना होता है, व्यापारी से मोलभाव के बाद उसे मंडी प्रशासन से जूझना पड़ता है और मंडी प्रशासन, व्यापारी और हम्मलों के गठजोड़ से पार पाने के बाद ही अन्नदाता की उपज की तुलाई और खरीदी हो पाती है। इतनी सब परेशानियों के चलते अब जिले के किसान बड़ी संख्या में कृषि उपज मंडी में नहीं आकर सीधे ही कम दामों पर दलालों अथवा जिले से बाहर माल बेच रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से मौसम में आए परिवर्तन के चलते रुक रुककर बारिश हो रही है। जिससे किसान उपज को लेकर चिंतित है पर मंडी प्रशासन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। बीते शनिवार कृषक अनीष वर्मा अपनी मक्का की उपज लेकर मंडी परिसर पहुंचे तो व्यापारी से सौदा होने के पश्चात हम्मालों द्वारा तुलाई के लिए अवैध रूप से बड़ी राशि की मांग की गई। जिसे देने से इंकार करने पर कृषक अनीष की उपज की तुलाई न होने पर जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त प्रशासक बैतूल एसडीएम राजीव कहार से फोन पर संपर्क किया गया जिस पर श्री कहार ने मंडी में संबंधित अधिकारी को फोन कर तुलाई के आदेश दिए पर आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए अनीष वर्मा की उपज की तुलवाई नहीं की गई और उसी शाम तेज बारिश आने से उपज को सुरक्षित रखने में मशक्कत करनी पड़ी। चूंकि रविवार को मंडी बंद रहती है जिसके चलते तुलवाई नहीं की गई और आज सोमवार को जब कृषक अनीष दोबारा मंडी परिसर पहुंचे तो व्यापारी ने उपज खरीदने से मना कर दिया। जिसके पश्चात सौदे को निरस्त कराने की प्रक्रिया पूर्ण कर कम दर पर दूसरे व्यापारी से सौदा किया गया। समाचार लिखे जाने तक उपज की तुलवाई संपन्न नहीं हुई है।
1. मंडी परिसर में बने शेड में व्यापारियों का माल रखा जाता है जबकि किसानों की उपज खुले आसमान के नीचे पड़ी रहती है। जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी नियमानुसार तो मंडी प्रशासन की है पर वास्तविकता में उपज की देखरेख निरीह किसान को ही करनी पड़ती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री किसानों को लेकर अनेक योजनाओं की घोषणा करते हैं और उसके लिए करोड़ों रुपए की राशि भी स्वीकृत की जाती है पर स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक रवैये के चलते किसान सिर्फ परेशान होता है।
इनका कहना है:-
मेरी कृषक अनीष वर्मा से इस संदर्भ में चर्चा हुई थी और मैने प्रशासन को निर्देश भी दिए थे, मैं इस बात से सहमत हूं कि मंडी में कुछ बिचौलियों एवं हम्मालों ने अपने आर्थिक लाभ के लिए मंडी की प्रक्रिया को तोड़ मरोड़ रखा है, मैं शीघ्र ही इस गठजोड़ को तोडक़र प्रक्रिया को सरल बनाने के निर्देश जारी कर रहा हैं।
राजीव कहार, मंडी प्रशासक एवं बैतूल एसडीएम

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