सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल
बैतूल नगरपालिका द्वारा संचालित स्वीमिंग पूल रखरखाव के अभाव में दम तोड़ रहा है। हालांकि कागजों पर रखरखाव के नाम पर लाखों रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जा रहे हैं। न तो तैराकी से पहले और तैराकी के बाद इस्तेमाल किए जाने वाले बाथरूम उपयोग लायक हैं जिसके लगभग सभी नल, दरवाजे एवं टाइल्स टूटी हुई हैं। वहीं स्वीमिंग पूल में उपयोग किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता इतनी खराब है कि तैरने वाले बच्चे एवं बड़े आंखों में जलन और गले में खराश की लगातार शिकायतें कर रहे हैं।
1. तकनीकी विशेषज्ञ से चर्चा पर उन्होंने बताया कि स्वीमिंग पूल के पानी को साफ करने के लिए विशेष गुणवत्ता का क्लोरीन एवं ब्लीचिंग पॉवडर आता है पर इस स्वीमिंग पूल में वही ब्लीचिंग पावडर और क्लोरीन उपयोग किया जा रहा है जो फिल्टर प्लांट पर नगर में पानी की सप्लाई के दौरान उपयोग किया जाता है। यह क्लोरीन आंखों के लिए विशेष तौर पर बहुत ही हानिकारक है। इस संदर्भ में नगरपालिका के नेता प्रतिपक्ष राजकुमार दीवान से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि मैं स्वयं भी तैराकी के लिए रोज सुबह जाता हूं मुझे भी यह परेशानी महसूस हो रही है। यदि शीघ्र ही इस समस्या को दूर नहीं किया गया तो स्वीमिंग पूल को बंद कराने की कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में नगरपालिका जलप्रदाय शाखा के प्रभारी ब्रजेश खानूकर से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो वे शासकीय बैठक में व्यस्त हैं। स्वीमिंग पूल में बिजली की जितनी भी फिटिंग है और मुख्य सप्लाई बोर्ड पूरी तरह से खुला हुआ है और तार कटे हुए हैं जिससे किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है पर नगरपालिका द्वारा इस ओर आंखें मूंद रखी हैं।
2. रखरखाव के अभाव की पराकाष्ठा यह है कि महिलाओं के लिए बनाए गए शौचालयों में दरवाजे नहीं है न ही पानी आता है और एक मात्र शौचालय में दरवाजा लगा है जिसमें इतने बड़े छिद्र हैं कि यदि कोई अंदर हो तो साफ दिखाई पड़ता है। वहीं तैराकी से पहले सभी महिला एवं पुरुष अपने कपड़े, पर्स एवं मोबाइल इत्यादि लॉकर में रखते हैं ताकि तैराकी के बाद कपड़े बदलकर अपना मूल्यवान सामान वापस ले जा सकें पर जो लॉकर नगरपालिका द्वारा सामान रखने के लिए बनाए गए हैं उनमें न तो दरवाजा है और न ही ताला लगाने की व्यवस्था। ऐसे में सामान कैसे सुरक्षित रहेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।