Betul Politics – कायम रहा मिथक तो जीतेगी भाजपा, टूटा तो कांग्रेस

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बैतूल सीट पर 43 साल से बने मिथक पर सबकी नजर

Betul Politics – बैतूल – वैसे तो राजनीति में हार-जीत सामान्य प्रक्रिया है लेकिन कई बार ऐसे मिथक कायम हो जाते हैं जो वास्तविक लगने लगते हैं और लोग चुनाव परिणामों को भी ऐसे मिथक से जोडक़र देखने लगते हैं। ऐसा ही कुछ जिला मुख्यालय की बैतूल विधानसभा सीट के साथ है। लेकिन इसके बावजूद इस विधानसभा सीट पर कई उम्मीदवार लगातार चुनाव लडक़र अपना भाग्य आजमा चुके हैं और इसी मिथक के चलते कई बार ऐसे उम्मीदवारों को सफलता और असफलता दोनों का सामना करना पड़ता है।

जो जीतता है उसकी बनती है सरकार

1980 के बाद से ही इस विधानसभा सीट को लेकर यह मिथक बन गया है कि बैतूल विधानसभा सीट से जिस पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीता है प्रदेश मेेंं उसी पार्टी की सरकार काबिज हुई है और यह दोनों ही राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस पर लागू हुआ है। जिसको लेकर प्रदेश में भी बैतूल विधानसभा सीट चर्चा का विषय रही है। अब तो राजनैतिक हल्को में भी लोग यह मानने लगे हैं कि बैतूल से जीता हुए विधायक की ही प्रदेश में सरकार बनेगी। 2018 में भी ऐसा ही हुआ था जब कांग्रेस के निलय डागा चुनाव जीते और सरकार कांग्रेस की बनी। यह बात अलग है कि 15 महीने में कांग्रेस सरकार गिर गई थी।

मतदाता ने लगातार नहीं दिया दुबारा अवसर

इस विधानसभा सीट को लेकर 1980 के बाद से ही यह भी मिथक कायम है कि विधानसभा का मतदाता एक ही उम्मीदवार को लगातार दुबारा अवसर नहीं देता है। और यह मिथक 2018 के विधानसभ चुनाव तक तो बरकरार है। यह बात अलग है कि एक ही पार्टी के उम्मीदवार को लगातार जीत का अवसर तो मिला लेकिन चेहरा बदलने के बाद ही मतदाता ने जीत की माला पहनाई। क्योंकि 2003, 2008 और 2013 में लगातार तीन बार लगातार भाजपा का उम्मीदवार चुनाव जीता लेकिन तीनों बार उम्मीदवार अलग-अलग थे। हाँ सरकार तीनों बार भाजपा की ही बनी।

इस तरह से बरकरार है मिथक

1985 अशोक साबले कांग्रेस जीत
1990 भगवत पटेल भाजपा जीत
1993 अशोक साबले कांग्रेस जीत
1998 विनोद डागा कांग्रेस जीत
2003 शिवप्रसाद राठौर भाजपा जीत
2008 अलकेश आर्य भाजपा जीत
2013 हेमंत खण्डेलवाल भाजपा जीत
2018 निलय डागा कांग्रेस जीत
2023 …………? ? ? ?

2023 में मिथक टूटेगा या बरकरार?

राजनीति में रूचि रखने वालों के अलावा सामान्य जन भी इस मिथक को लेकर काफी जिज्ञासू है। क्योंकि 2018 की ही जोड़ी दुबारा मैदान में है। भाजपा के हेमंत खण्डेलवाल 2013 के चुनाव में विजयी हुए थे लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस के निलय डागा से हार गए थे। अब 2023 में पुन: दोनों मैदान में है। यदि निलय डागा चुनाव जीतते हैं तो यह मिथक टूट जाएगा कि एक उम्मीदवार लगातार दो बार चुनाव नहीं जीतता है। और यदि हेमंत खण्डेलवाल चुनाव जीतते हैं तो यह मिथक बरकरार रहेगा। एक मिथक सरकार बनाने को लेकर हैं तो यदि हेमंत खण्डेलवाल जीते और सरकार भाजपा की बनी तो मिथक बरकरार रहेगा। और यदि निलय डागा चुनाव जीते और सरकार भाजपा की बनी तो दोनों मिथक टूट जाएंगे।