बैतूल:- देश की सेवा में तैनात जवान के परिवार को न्याय तक नहीं मिल पा रहा है। ग्राम बरसाली निवासी पूर्व सैनिक भोजराज यादव और उनकी पत्नी दुर्गावती यादव बीते छह महीनों से अपने साथ हुई मारपीट की शिकायत पर कार्यवाही की आस में पुलिस और प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहे हैं। लेकिन पुलिस की बेरुखी ने उन्हें मजबूर और निराश कर दिया है।
1. परिजनों ने बताया कि उनका बेटा चंद्रप्रकाश यादव वर्तमान में भारतीय सेना में जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन सिंदूर के तहत तैनात है। सेना में होने के कारण वह छुट्टी नहीं ले पा रहा और गांव में उसके माता-पिता हमलों, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकियों का सामना कर रहे हैं।
12 जनवरी को हुई थी मारपीट, आज तक नहीं हुई गिरफ्तारी
पीड़ितों के अनुसार, 12 जनवरी 2025 को बरसाली पुलिस थाने में उनके साथ हुई मारपीट की शिकायत दर्ज कराई गई थी। दुर्गावती यादव और भोजराज यादव पर कुछ लोगों ने हमला किया था। शिकायत के बावजूद अब तक न कोई गिरफ्तारी हुई, न चालान कोर्ट में पेश हुआ।
पुलिस पर आरोप: “आरोपियों को बचा रही है पुलिस”
परिवार का आरोप है कि पुलिस इस मामले में गंभीर नहीं है, और आरोपियों के पक्ष में झुकी हुई दिख रही है। हर बार थाने जाने पर उन्हें सिर्फ आश्वासन देकर लौटा दिया जाता है। इससे पीड़ितों में गहरा रोष है।
धमकी और दोबारा हमला, फिर भी खामोश पुलिस
परिजनों ने बताया कि 3 मार्च को एक बार फिर से आरोपियों ने उन्हें गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी। इस पर भी एनसीआर दर्ज कराई गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
पीडब्ल्यूडी पर भी लगाया अतिक्रमण का आरोप
इतना ही नहीं, भोजराज यादव ने यह भी आरोप लगाया कि 26-27 मई की रात को पीडब्ल्यूडी विभाग ने अवैध रूप से गांव की सड़क पर जेसीबी से 100 मीटर लंबा बांध खड़ा कर दिया। यह भूमि पहले अधिग्रहित की जा चुकी थी। इसकी शिकायत भी प्रशासन से की गई, लेकिन वहां भी कोई सुनवाई नहीं हो रही।
कलेक्टर से लगाई गुहार, की निष्पक्ष जांच की मांग
भोजराज यादव ने कलेक्टर बैतूल से मांग की है कि
पुलिस को शीघ्र चालान कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए जाएं
आरोपियों की गिरफ्तारी की जाए
बरसाली में हुए सड़क अतिक्रमण की जांच हो और निर्माण कार्य पर रोक लगे
पीड़ित का सवाल – जब सैनिक परिवार को नहीं मिल रहा न्याय, तो आम आदमी का क्या?
परिवार का कहना है कि “देश सेवा में लगा बेटा सीमा पर तैनात है, लेकिन गांव में उसके बूढ़े माता-पिता सुरक्षित नहीं हैं। क्या यही है एक सैनिक परिवार की कीमत?