भाजपा का गेम प्लान हो रहा सफल
बैतूल के भी कई नेता भाजपा की देहलीज पर
बैतूल। जिस तरह से राजनीति के मैदान में भाजपा ने पहली बार न्यू ज्वाईनिंग कमेटी बनाकर दूसरे दलों से खासकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं सहित आम कार्यकर्ताओं को भाजपा में जोड़ने का अभियान चलाया है उसके चलते लोकसभा चुनाव में मतदान की तिथि आने तक कांग्रेसियों का मनोबल पूरी तरह से टूट चुका होगा। क्योंकि जिस तरह से हर जिले में कांग्रेस के दिग्गज और लगभग 40 से 50 वर्षों से कांग्रेस मेें सक्रिय नेता तिरंगा दुपट्टा छोड़कर केसरिया दुपट्टा पहन रहे हैं उससे निष्ठावान कांग्रेस हतप्रभ है और घर बैठने को मजबूर हो रहा है। राजनैतिक समीक्षकों की माने तो बैतूल जिले के भी छोटे-बड़े कांग्रेसी भाजपा की देहलीज पर दिखाई दे रहे हैं और जिले के सर्वाधिक शक्तिशाली भाजपा नेता हेमंत खण्डेलवाल के दरवाजे पर घंटी बजा रहे हैं।
भाजपा ने लगाया यह बैरीकेट
भाजपा के उच्च सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा की न्यू ज्वाईनिंग टोली को भाजपा हाईकमान यह निर्देश दिए हैं कि अब विशेषकर मध्यप्रदेश में जिस भी जिले के कांग्रेसी को भाजपा में शामिल होना है उसके लिए पहले जिले के भाजपा संगठन और प्रमुख जनप्रतिनिधियों की एनओसी होना अनिवार्य हो गया है। क्योंकि मार्च 2020 के दौरान जिस तरह से कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भारी संख्या में चम्बल, ग्वालियर संभाग के कांग्रेसी भीड़ के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे उससे क्षेत्र में पुराने-नए भाजपाईयों में गुटबाजी बड़ी इसका खामियाजा विधानसभा टिकट वितरण और अन्य नियुक्तियों में दिखाई दिया। इसीलिए भाजपा ने अब कांग्रेस ने आने वाले लोगों के लिए यह बैरीकेट खड़ा कर दिया है।
एंट्री के लिए एनओसी का इंतजार
जिले के भाजपा सूत्रों की माने तो जिस तरह से देश में मोदी लहर अपने पीक पर है और हर न्यूज चैनल कई महीनों से यह सर्वे रिपोर्ट दे रहा है कि तीसरी बार लगातार देश में मोदी की सरकार बनना तय है। वैसे ही पिछले दस वर्षों से केंद्र में और लगभग 20 वर्षों से राज्य में कांग्रेसी सत्ता विहीन होने के बाद छटपटा रहे हैं। और ऐनकेन प्रकारेण भाजपा में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं। बैतूल भी इससे अछूता नहीं है। चौक-चौराहों पर हो रही चर्चा के अलावा जिस तरह से कांग्रेस की ओर से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़े कुछ प्रत्याशी भाजपा के दिग्गज नेताओं के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। उससे यह लगता है कि बैतूल सीट पर मतदान होने के पहले तक बड़ी संख्या में कांग्रेसी भाजपा का दुपट्टा पहने नजर आ सकते हैं।
कांग्रेस युक्त होते जा रही भाजपा
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद एकतरफा बहुमत के साथ भाजपा सत्ता में आने के बावजूद जिस तरह से प्रदेश के विभिन्न जिलों से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल कर रही है वह भी भाजपा का गेम प्लान बताया जा रहा है ताकि लोकसभा चुनाव के मतदान की तारीख आने से पहले हर जिले के कांग्रेसी निराश हो जाए और बाकी कांग्रेसियों पर यह मनोवैज्ञानिक दबाव पड़े कि कांग्रेस सत्ता में नहीं आ रही है इसलिए कांग्रेसी भाजपा का दामन थाम रहे हैं। और इस तरह से जहां भाजपा कांग्रेस युक्त होते जा रही है वहीं भाजपा का कांग्रेसियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बढ़ता जा रहा है।
कई राज्य सरकारों पर पड़ सकता है असर
यदि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की भारी दुर्गति होती है तो इसका सीधा असर कांग्रेस शासित राज्यों पर पड़ना तय माना जा रहा है। राजनैतिक समीक्षक यह मान रहे हैं कि हिमाचल, झारखंड और कर्नाटक सरकार पर भी राजनैतिक संकट आ सकता है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में अगर कांग्रेस 40 से 50 सीटों पर अटक गई तो इन राज्यों के कांग्रेसियों को भी अपना भविष्य अंधकारमय नजर आएगा। और इसके लिए वो विकल्प के रूप में भाजपा से जुड़ना चाहेंगे। वैसे भी हिमाचल प्रदेश की सरकार का संकट टला नहीं है। झारखंड सरकार समर्थक विधायक भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
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