डॉ. पल्लव पर दो बार दर्ज हुई एफआईआर, अब हो सकते हैं बर्खास्त
बैतूल – प्रदेश में बहुचर्चित व्यापमं कांड की जांच और इसमें बने आरोपी धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भी वो कई सालों तक लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करते रहे और सरकारी नौकरी कर लाखों रूपए वेतन के रूप में और सरकारी सुविधाएं लेते रहे। ऐसे ही मुन्नाभाई एमबीबीएस बैतूल में भी सामने आए, जिन्होंने एफआईआर होने के बावजूद 7 साल तक दड़ेगम नौकरी की और मुलताई क्षेत्र के नेताओं के चहेते बने रहे। इनमें से कई नेता अभी भी इनके गुणगान करते नजर आ रहे हैं। इन्हें शर्म भी नहीं आ रही कि इस आरोपी डॉक्टर के कारण एक योग्य और परिश्रमी अभ्यर्थी का हक मारा गया।
खुलासा तब हुआ जब 30 अप्रैल 2022 को एसटीएफ भोपाल ने मुलताई ब्लाक मेडिकल आफिसर डॉ. पल्लव अमृत फाले को गिरफ्तार किया और भोपाल ले गए। सांध्य दैनिक खबरवाणी को मिली जानकारी के मुताबिक गिरफ्तारी के दौरान डॉ. पल्लव ने छुट्टी का आवेदन लिखकर छोड़ दिया था और वरिष्ठ अधिकारियों को उनके कुछ सहयोगियों ने यह बताया कि उनके किसी परिजन की तबियत खराब है, इसलिए वो अपने घर गए हैं। इसके उनका मोबाईल स्विचआफ हो गया। अपने मामले में डॉ. पल्लव ने स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को तक अंधेरे में रखा। जब इन अधिकारियों को पता चला कि उनकी गिरफ्तारी हो गई तो वे सकते में आ गए। सबसे बड़ी विडम्बना ये है कि एसटीएफ ने भी उनकी गिरफ्तारी की सूचना बैतूल सीएमएचओ को नहीं दी। खबरवाणी को मिली जानकारी के अनुसार कल एफआईआर की कापी जिला प्रशासन के पास आई थी और अब विभागीय तौर पर उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की संभावना बन गई है।
2015 में बना पहला मामला
सांध्य दैनिक खबरवाणी को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई ने व्यापमं कांड में 2015 में एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में धारा 120 बी, 419, 420, 467, 468, 471 लगाई गई थी। इस मामले में चार साल तक जांच चलने के बाद सीबीआई ने 14 मई 2019 को आरोपियों के खिलाफ पूरक चालान पेश किया था। इसमें आरोप था कि डॉ. पल्लव ने रीवा मेडिकल कालेज से पीएमटी 2009 में चयनित हुए अभ्यर्थी विनय शाक्य के मामले में दलाली की थी। इसी को लेकर उन पर मामला दर्ज हुआ था। इसके अलावा जानकारी यह भी मिली कि पीएमटी 2009 में अभ्यर्थी डॉ. पल्लव की जगह राजस्थान निवासी रवि सिंह नाम के व्यक्ति ने परीक्षा दी थी। सीबीआई ने जांच में पाया कि काउंसलिंग में भी डॉ. पल्लव नहीं गए और उनकी जगह उन्होंने सिद्धार्थ नाम के व्यक्ति को भेजा था। लगातार फर्जीवाड़े के तार खुलते जा रहे थे।
इन लोगों पर हुई थी एफआईआर
मुलताई बीएमओ डॉ. पल्लव अमृत फाले या ये कहे मुन्नाभाई एमबीबीएस के साथ और भी मुन्नाभाई इस मामले में आरोपी बने थे। सीबीआई ने 2015 में एफआईआर दर्ज की थी उसमें अजीत सिंह बघेल, रामकुमार शाक्य, नीरज यादव, विनय कुमार शाक्य, सुजीत सिंह, देवेन्द्र कुमार, देवी सिंह, सुरेश चंद्र, गजेन्द्र सिंह, निलेश गुप्ता, वृदावनलाल शाक्य, श्रीराम शाक्य, विनोद शाक्य, नरेश राजपूत, देवेन्द्र यादव सहित अन्य नाम बताए जा रहे हैं।