चिलचिलाती धूप में पानी के लिये भटकते ग्रामीण
Betul News – झल्लार – जिले के कई आदिवासी गांवों की तकदीर और तस्वीर आज भी बदल नहीं पाई है। नतीजतन वे आज भी पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा से जूझ रहे है। सरकार का प्रयास है कि प्रत्येक घरों तक नल से शुद्ध पानी पहुंचे। लेकिन पीएचई विभाग की लाचार कार्यप्रणाली शासन की इस व्यवस्था को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है।
सूखे पड़े सभी हैण्डपंप | Betul News
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विकासखंड भैंसदेही की बड़ी ग्राम पंचायत केरपानी में पहाड़ी पर बसे कोरकू ढाना एवं गोंडी ढाना की एक हजार की आबादी वाले ग्राम केरपानी में आदिवासी बीते 2 माह से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे है। गांव में पीने के पानी के लिए हैंडपंप लगे है लेकिन सभी बंद पड़े हैं। नलजल योजना का बोरवेल मार्च के बाद वॉटर लेवल कम हो जाने से नल जल का पानी सिर्फ नीचे के मोहल्ले को ही मिल पाता है। इसकी जानकारी पीएचई विभाग के अधिकारी अखिलेश बड़ोले को एक वर्ष पूर्व से दे दी गई थी लेकिन कोई व्यवस्था नहीं की गई।
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नए बोर खनन का प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में
ग्राम पंचायत केरपानी के द्वारा नये बोर खनन के लिये दो- दो बार प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन उनके द्वारा इस जल समस्या का निवारण के लिए स्थाई व्यवस्था की दृष्टि से कोई उचित कार्य नहीं किया गया। सिर्फ ग्रामीणों को भ्रमित करने का कार्य किया गया। इस वर्ष भी जब पानी की समस्या हुई तो ग्रामीणों के द्वारा उनसे संपर्क करने पर उनके द्वारा कहा गया कि पाइंट देख लीजिये बोर करवा देंगे लेकिन पाइंट दिखाने के बाद आज आएगी मशीन, कल आयेगी मशीन का हवाला देते रहे लेकिन लास्ट में जब उनसे ग्रामीणों द्वारा सही जवाब मांगा गया तो उन्होंने कहा कि 600 फिट बोर कर देते है जबकि उन्हें पता है कि केरपानी पहाड़ी पर बसा हुवा है यहां वाटर लेवल या पानी की संभावना 600 के बाद ही है और उनके द्वारा शासन की योजना को पलीता लगाने के लिए रस्म अदाएगी करने की बात की गई। इसके बाद उन्होंने अंत में कह दिया कि ग्राम केरपानी के खाते में पैसा नहीं है यहां बोर नहीं हो सकता है।
अधिकारी नहीं ले रहे रूचि | Betul News
पीएचई के अधिकारियों द्वारा जलसंकट समाप्त करने के लिए रूचि नहीं लेने का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतने मजबूर होना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत भी इस समस्या से अनजान नहीं है फिर भी लोग इस अव्यस्था से पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है । ग्रामीण सल्क्या बारस्कर, गोविन्द चड़ोकार, रामकली बाई ठाकरे, ठुमाय बाई कानेकर, मंगला बाई चड़ोकार एवं ग्रामीण जन गांव से प्रतिदिन एक किलोमीटर दूर पंचायती कुंए, निजी कुंए में छोटे बच्चों को उतार कर लोटे या डिब्बे से बाल्टी में डालकर पानी निकाल कर पानी भर रहे हैं। गांव में हर बार मार्च के बाद पानी के लिये 3 माह भटकना पड़ता है। इस समस्या से पीएचई विभाग एवं ग्राम पंचायत कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। परंतु इस गांव में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचते ताकि पीने के पानी की स्थाई व्यस्था हो सके। अधिकारियों की कार्यप्रणाली से ग्रामीण बेहद नाराज है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से केरपानी के कोरकू ढाना एवं गोंडीढाना के लिये पेयजल का कोई स्थायी व्यवस्था करने की मांग की है।
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