शिवसागर गांव के ग्रामीणों ने थाने पहुंचकर दिया आवेदन, ठेकेदार और सिंचाई विभाग पर मनमानी करने का लगाया आरोप
चोपना(नित्यानंद राय)- लगभग 5 करोड़ रुपए की राशि से बनने वाले बैराज का स्थल बदलकर दूसरी जगह कार्य प्रारंभ करने पर शिवसागर गांव के ग्रामीणों में जहां रोष व्याप्त है वहीं उन्होंने चोपना थाने पहुंचे ठेकेदार एवं सिंचाई विभाग पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए एक ज्ञापन जिला कलेक्टर के नाम थाना प्रभारी को सौंपकर चिन्हित स्थल पर ही बैराज निर्माण किए जाने की मांग की है।
5 करोड़ का बनना है बैराज
जानकारी के अनुसार शिवसागर वासपुर के बीच से बहने बाली तवा नदी में लगभग 5 करोड़ रुपए से जल संसाधन विभाग द्वारा बैराज निर्माण कार्य को लेकर गुरुवार को शिवसागर से सैकड़ो की संख्या में महिलाएं तथा पुरूष चोपना थाने पहुंचकर जलसंसाधन विभाग पर आरोप लगाते हुए ज्ञापन सौंपा एवं ग्रामीणों ने बताया कि जलसंसाधन विभाग द्वारा शिवसागर के नाम से पारित तथा नदी में बैराज बनाया जा रहा है जिसकी घोषणा आमसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोपना द्वारा की गई थी जिसका सर्वे पुलिया से 500 मीटर नीचे शिवसागर, भुमकाढाना के बीच किया गया था मगर विभाग द्वारा ठेकेदार ने पुलिया के 500 मीटर ऊपर तरफ फारेस्ट में काम चालू किया गया है।
इन ग्रामों को नहीं मिलेगा लाभ
गलत जगह बैराज निर्माण होने से इसका फायदा बांसपुर, भुमकाढाना शिवसागर ग्राम के ग्रामीणों को नहीं मिलेगा, जिसके चलते ग्रामीणों ने निर्माण कार्य को रोक दिया गया हैं। ग्रामीण सत्यरंजन मंडल, सुखरंजन, विधानचंद्र, उत्तम, सुजीत व्यापारी एवं ग्रामीणों यह भी बताया की कुछ लोगो ने अपने हित के लिए शिवसागर ग्रामवासियों को कोल माफिया बताकर तहसील कार्यालय में आवेदन व मीडिया में सार्वजनिक करने का आरोप लगाते हुए दोषियों पर शासन प्रशासन से उचित कार्यवाही करने की मांग की है। ए.आर. खान थाना प्रभारी चोपना ने बताया शिवसागर से भारी संख्या में ग्रामीणों द्वारा बैराज निर्माण तथा कोल माफिया बताकर ग्रामीणों को आहत करने के संबंध में थाने में आवेदन दिया गया हैं और शीघ्र ही हम प्रशासन तक ये बात पहुचायेंगे एवं उचित कार्यवाही करेंगे।
इनका कहना है…
बैराज का कोई स्थान नहीं बदला है। जो ड्राईंग बना है, उसी के आधार पर बैराज बन रहा है। ग्रामीण पुल के नीचे बैराज बनाने की मांग कर रहे है, लेकिन तकनीकी कारणों से बैराज पुल के ऊपर बनाया जा रहा है। पहले जो सर्वे हुआ था, वो उच्च अधिकारियों ने निरस्त कर दिया था और नए सर्वे के हिसाब से ड्राइंग, डिजाइन बनाई गई है।
अशोक दहेरिया, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग