
मुलताई न्यायालय ने शून्य किया चुनाव
Betul News – बैतूल – पिछले वर्ष जिले की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के चुनाव संपन्न हुए थे। जिसमें मुलताई, आमला एवं शाहपुर में अंतिम क्षणों में कुछ मतदाता पार्षदों के दल-बदल और विश्वासघात के चलते चुनाव परिणाम बदल गए थे। जिसमें सबसे चर्चित मुलताई नगर पालिका का चुनाव रहा जिसमें अध्यक्ष के नामांकन के समय तक विद्रोह की स्थिति नहीं थी लेकिन भाजपा से विद्रोह कर नीतू परमार ने अध्यक्ष का फार्म भर दिया और अंतिम क्षणों में कांग्रेस ने समर्थन दे दिया।
वहीं नीतू परमार के साथ दो भाजपा पार्षदों ने भी गुप्त मतदान के समय पार्टी को धोखा दे दिया। और 9 वोट से नीतू परमार अध्यक्ष निर्वाचित हो गई थीं। और भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी वर्षा गढ़ेकर को मात्र 6 वोट मिले थे। जबकि भाजपा के 9 पार्षद निर्वाचित हुए थे।
अध्यक्ष बनने के कुछ दिनों बाद ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के समक्ष नपाध्यक्ष नीतू परमार कांग्रेस में शामिल हो गईं। निर्वाचन के बाद ही भाजपा की हारी हुई प्रत्याशी वर्षा गढ़ेकर ने मुलताई न्यायालय में नीतू परमार के चुनाव को चैलेंज किया। और अध्यक्ष का निर्वाचन शून्य घोषित करने का निवेदन किया। कल आए फैसले में नीतू परमार का अध्यक्ष का चुनाव शून्य घोषित किया गया एवं एक माह में जिला कलेक्टर को नया चुनाव कराने का आदेश में हवाला दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार मुलताई न्यायालय के फैसले को नीतू परमार और सहयोगी मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अपील करेंगे, लेकिन भाजपा की वर्षा गढ़ेकर भी न्यायालय में केवीएट दायर कर रही हैं यह भी जानकारी सामने आई है। यदि केवीएट दायर होता है तो दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही उच्च न्यायालय निर्णय देगा। और यदि केवीएट दायर नहीं होती है तो नीतू परमार का यह प्रयास रहेगा कि वह मुलताई न्यायालय के आदेश पर स्थगन आदेश प्राप्त कर करें। और यदि ऐसा हुआ तो नीतू परमार मुलताई नगर पालिका की अध्यक्ष तब तक बनी रह सकती है जब तक न्यायालय का अंतिम निर्णय ना आ जाए।
वर्तमान में नगर पालिका अध्यक्ष पद का पुर्न निर्वाचन होता है तो भाजपा की वर्षा गढ़ेकर का इस बार अध्यक्ष बनना तय है। क्योंकि एक बार धोखा खाने के बाद भाजपा दुबारा ऐसी गलती नहीं करेगी और सभी पार्षदों को संगठित और पार्टी झंड़े तले एकत्र रखेगी ऐसा भाजपा के जिम्मेदार पदाधिकारियों का कहना है।
वहीं राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि यदि कांग्रेस के समर्थन से अध्यक्ष बनी नीतू परमार कुछ दिनों तक धैर्य रखती और कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय नहीं लेती तो विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा उन्हें वापस उन्हें वापस पार्टी में शामिल कर सकती थी। क्योंकि विधानसभा चुनाव के पहले पूर्व के विधानसभा चुनाव के विद्रोही, जिपं चुनाव के विद्रोही एवं अन्य विद्रोहियों को राजनैतिक दल वापस दल में शामिल कर अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास करती रही है।
इनका कहना…
अगर यह मामला हाईकोर्ट में जाता है तो सुनवाई के समय हमको भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए, इसको लेकर हम हाईकोर्ट में केवीएट दायर करेंगे।
राजेंद्र उपाध्याय, अधिवक्ता ,याचिकाकर्ता वर्षा गढ़ेकर
अभी कंफर्म नहीं है, विचार कर रहे हैं आगे क्या करना है? जल्द ही इस संबंध में जानकारी देंगे।