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बैतूल नगरपालिका ने स्वच्छता सर्वेक्षण की चिंता छोड़ दी…

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बैतूल नगरपालिका ने स्वच्छता सर्वेक्षण की चिंता छोड़ दी…
खबरवाणी न्यूज, बैतूल
स्वच्छ भारत अभियान की रैंक में औंधे मुंह गिर चुकी बैतूल नगरपालिका को रैंक सुधारने की चिंता अब नहीं है, शहर में जगह-जगह पसरी गंदगी और टूटी-फूटी सडक़ें इस गंदगी में और चार चांद लगा रही है। नगरपालिका परिषद लगातार निर्माण के नए टैंडर करने में व्यस्त है पर वर्तमान व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना और चाक चौबंद रखना अब नगरपालिका की प्राथमिकताओं में से पूरी तरह बाहर हो चुका है।
परिषद द्वारा हो रहे टेंडरों में शासन के नियमों का खुलेआम उल्लंघन और नियमो में मिलने वाले शिथिलता का मुख्य नगरपालिका अधिकारी पूरा सदुपयोग कर रहे हैं। इसका उदाहरण पिछले दिनों सुर्खियों में भी खूब आया है। कुल मिलाकर इस समय नगरपालिका बैतूल में शासकीय नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर चहेतों को उपकृत करने का दौर चल रहा है। जो शहर की सेहत के लिए घातक सिद्ध हो रहा है।

यूनिपोल लगाने में बड़ा खेला

जो यूनिपोल 5 लाख की आबादी वाले शहर में लगाए जाते हैं वह यूनिपोल नगरपालिका ने निविदा की शर्तों में हेरफेर करके डेढ़ लाख जनसंख्या वाले शहर में खड़े कर दिए। यूनिपोल लगाए तो सुरक्षा मापदंडों का भी ध्यान नहीं रखा। यूनिपोल लगाने की शर्तों में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इन्हें डिवाइडरों के बीच में नहीं लगाया जाना है लेकिन सभी पांचों यूनिपोल डिवाइडरों के बीच लगे हैं। सबसे बड़ी धांधली जो की गई वह है कि 91 होर्डिंग्स की लिस्ट में नगरपालिका ने यूनिपोल को भी होर्डिंग का नाम दे दिया।

हाउसिंग बोर्ड गमला कांड
हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की सीमेंट सडक़ के सौंदर्यीकरण के लिए नगरपालिका ने सडक़ के दोनों ओर गमले लगाए हैं। ये 60 गमले नगरपालिका ने 5 हजार रुपए के एक गमले की कीमत में लगाए हैं तो वहीं सौ से दो सौ रुपए में आने वाला पौधा इसमें 1 हजार रुपए की कीमत का बताकर रोपा गया है। सवाल यह भी उठता है कि 500 सौ से 1 हजार रुपए की कीमत का गमला नगरपालिका ने मोटे दामों में खरीदकर लाखों रुपए का हेरफेर क्यों किया। परिषद से भी इसकी मंजूरी नहीं ली गई, जो कई सवाल खड़े करती है।

निविदाओं के पंजीयन घोटाला
शासन के लिए नियमों के अनुसार निविदा की शर्त में यदि यह दर्शाया गया है कि प्राप्त निविदाकर्ता को अपने खर्च पर निविदा की शर्तों और उसके क्रियान्वयन के अनुबंध को उपपंजीयक कार्यालय में पंजीकृत कराना पड़ेगा ताकि यदि उक्त निविदा की शर्तों का पालन न हो तो नगरपालिका न्यायालय में कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र और मजबूत हो, परंतु नगरपालिका परिषद द्वारा किसी भी निविदा के अनुबंध को रजिस्टार ऑफिस में पंजीकृत नहीं किया जाता बल्कि सिर्फ स्टॉम्प खरीदकर रख लिए जाते हैं जो कि स्टॉम्प पंजीयन नियमों का खुला उल्लंघन है और शासन को राजस्व का भी नुकसान होता है।

उधड़ी सडक़ों पर पशुओं का बसेरा

पहले ही नगर की सडक़ों की हालत माशाअल्लाह हो रही है, जिन पर रोजाना दुर्घटनाएं हो रही हैं और विश्ेाषकर दो पहिया वाहन चालक चोटिल हो रहे हैं। कुछ दिनों पहले नगरपालिका प्रशासन द्वारा खानापूर्ति करने के लिए आवारा पशुओं को सडक़ से हटाकर गौशाला में भेजने का अभियान शुरू किया गया था जो कि कुछ ही दिनों में अचानक ठंडे बस्ते में चला गया। शहर की सभी प्रमुख सडक़ों पर दर्जनों की संख्या में पशु इसलिए भी बसेरा बना रहे हैं क्योंकि कचरा और पॉलीथिन सडक़ के आस-पास खाने के लिए उपलब्ध है। जहां पशुओं को पॉलीथिन से खतरा है वहीं वाहन चालकों को पशुओं से खतरा है पर नपा प्रशासन का ध्यान कहीं और है।

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