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Betul के ताप्ती घाट पर दिखाई दिया तेंदुआ, ट्रक चालकों और बस चालकों ने कैमरे में कैद की घटना ग्रामीण क्षेत्रों में फैली दहशत

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Betul: बैतूल के जंगलों में बाघ की दहशत के बीच वन्य प्राणियों के देखे जाने के मामले रोज सामने आ रहे हैं। देर रात आठनेर इलाके में कार सवारों को दिखे तेंदुए का वीडियो सामने आया है।सांवलमेंढा के शिक्षक आरएस उइके सालबर्डी से धार्मिक दर्शन कर लौट रहे थे। कार में परिवार के साथ बैठे उइके को अचानक सड़क के करीब वन्य प्राणी होने का अंदेशा होने पर उन्होंने कार रोककर देखा तो सड़क के बाजू से होता हुआ वन्य प्राणी सड़क पार कर जंगल में ओझल हो गया।

Betul के ताप्ती घाट पर दिखाई दिया तेंदुआ ( Leopard seen at Tapti Ghat in Betul)

Betul के ताप्ती घाट पर दिखाई दिया तेंदुआ, ट्रक चालकों और बस चालकों ने कैमरे में कैद की घटना ग्रामीण क्षेत्रों में फैली दहशत

उनके दामाद रामप्रसाद इवने ने बताया कि प्राणी तेंदुआ था। उनका परिवार इस प्राणी को देखकर बेहद रोमांचित हैं। उन्होंने कार रोककर इसकी क्लिप भी बनाई। यही क्लिप सोशल मीडिया पर भी पोस्ट की है। यह क्षेत्र मोरछी वन परिक्षेत्र का हिस्सा है।एसडीओ फाॅरेस्ट जौनवार ने बताया कि उन्हें इस मूवमेंट की जानकारी नहीं है। फिलहाल विभाग का दल जौलखेड़ा इलाके में बाघ की सर्चिंग कर रहा है। यहां बाघ ने भैंसों पर हमला कर उन्हें घायल भी किया है, जिसमें एक भैंस की मौत भी हो चुकी है।इधर इस वन्य प्राणी के मूवमेंट को लेकर वन परिक्षेत्र अधिकारी भीमा मंडलोई ने भी इससे अनभिज्ञता जताई है। इधर वन्य प्राणी विशेषज्ञ आदिल खान ने बताया कि वीडियो में दिखाई पड़ रहा प्राणी तेंदुआ है।आपको बता दें कि अखिल भारतीय बाघ आंकलन 2022 के तहत जिले के तीनों वन मण्डल मे गणना की प्रक्रिया जारी है। यहां उत्तर और दक्षिण वन मंडल में गणना कार्य जारी है। वहीं बुधवार से पश्चिम वन मण्डल में गणना शुरू की गई है।

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ट्रक चालकों और बस चालकों ने कैमरे में कैद की घटना ग्रामीण क्षेत्रों में फैली दहशत ( Panic spread in rural areas by truck drivers and bus drivers)

यह काम आगामी 7 दिसंबर तक जारी रहेगा। बाघों के मूवमेंट के लिए हरदा खण्डवा किनारे के जिलों में मण्डल के जंगलों में कैमरे भी लगाए गए हैं। प्रशिक्षित वन कर्मचारियों द्वारा रोजाना सुबह साढ़े 6 बजे से गणना का काम शुरू किया गया है।जंगल में मिलने वाले पगमार्क और पेड़ों पर खरोंच के निशान बाघों की मौजूदगी का साक्ष्य बनेंगे। पिछ्ली बार यह कार्य 2018 में किया गया था। 4 साल में एक बार बाघ गणना का कार्य अखिल भारतीय स्तर पर किया जाता है।

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