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Betul Farmer : किसान को एमएसपी में हो रहा है घाटा

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समर्थन मूल्य को लगेगा झटका, गेहूं की कीमतों में उछाल

बैतूल (सांध्य दैनिक खबरवाणी) – किसानों को उनकी उपज विशेषकर गेहूं का वाजिब दाम मिल सके इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा गेहूं की फसल का समर्थन मूल्य निर्धारित तो कर दिया गया है लेकिन हकीकत यह है कि इस मूल्य से अधिक में खुले बाजार में गेहूं बेचा जा रहा है। इससे किसानों का समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने से मोह भंग होता जा रहा है।

अगर यही हालात रहे तो समर्थन मूल्य पर जैसे ही खरीदी प्रारंभ होगी तब तक अधिकांश किसान अपनी उपज खुले बाजार में अधिक दामों में बच चुके होंगे। जबकि एमएसपी को लेकर देश में किसानों द्वारा बड़ा आंदोलन कई महीनों तक किया गया था। इसके बाद भी घोषित समर्थन मूल्य से अधिक खुले बाजार के दाम चल रहे हैं जिससे किसान अपनी उपज खुले बाजार में जमकर बेच रहे हैं।

समर्थन मूल्य से हो रहा नुकसान

समर्थन मूल्य पर गेहूं की उपज बेचने में किसान उत्साह नहीं दिखा रहे हैं इसलिए इस बार समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए होने वाले पंजीयन भी कम हुए हैं। किसान पवन वर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य गेहूं का 2 हजार 15 रु. प्रति क्विंटल तय किया है। इस बार राज्य सरकार ने बोनस की घोषणा नहीं की है। 2015 रुपए समर्थन मूल्य पर सरकार ने शर्त भी लगाई है कि गेहूं का छन्ना करवाकर गेहूं खरीदेगी।

एक क्विंटल गेहूं की छनाई पर किसान को 20 रुपए खर्च आता है जिससे उसकी उपज का उसे 1995 रुपए ही मिलेगा। इसके अलावा समर्थन मूल्य पर बेचने में भुगतान भी एक सप्ताह के भीतर होता है। ऐसे में समर्थन मूल्य से जब ज्यादा कीमत खुले बाजार में मिल रही है तो किसान को वहां बेचने में ही ज्यादा फायदा है। श्री वर्मा का यह भी कहना है कि समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए स्लाट बुक करना पड़ेगा। इसमें सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि गेहूं बेचने के लिए कई दिनों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसलिए किसानों का इस बार समर्थन मूल्य पर कम खुले बाजार में गेहूं बेचने में रूचि अधिक दिखाई दे रही है।

1 अप्रैल से शुरू होगी गेहूं खरीदी

समर्थन मूल्य खरीदी के लिए प्रशासन ने सभी तैयारियां पूर्ण कर ली है। कृषि विभाग के उपसंचालक केपी भगत का कहना है कि 1 अप्रैल से गेहूं की खरीदी शुरू की जाएगी। अभी किसान कटाई में भी लगे हुए हैं और गेहूं में नमी भी है इसलिए 1 अप्रैल की तारीख तय की गई है। अभी तक पूरे जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए 40 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है। सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिले और अभी वर्तमान में गेहूं के मंडी में अच्छे दाम मिल रहे हैं इसलिए किसान भी खुले बाजार में अपनी उपज बेच रहे हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध का दिख रहा असर

जिले के प्रतिष्ठित व्यापारी प्रमोद अग्रवाल का कहना है कि बैतूल से खरीदी जा रही गेहूं की उपज साऊथ जा रही है। इसके अलावा अहमदाबाद पोर्ट पर भी कई रैक गई हैं। यहां से गेहूं का निर्यात होता है। श्री अग्रवाल का कहना है कि अगर रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहा तो गेहूं का संकट आ सकता है और इसकी कीमतें भी बहुत ऊपर तक जा सकती है। श्री अग्रवाल का कहना है कि इस साल बैतूल में गेहूं की फसल अच्छी हुई है। कुछ दिनों पहले तक 15 हजार रुपए बोरे की मंडी में आवक थी। अभी कुछ कम हुई है। आने वाले समय में यह आवक 25 से 30 हजार बोरे प्रतिदिन की होने की संभावना है।

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