Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

Bakri Palan : बकरी नहीं ये है चलता फिरता एटीएम, पालन करके हो सकते हैं मालामाल 

By
On:

डेढ़ साल में 40 KG हो जाता है वजन 

Bakri Palan – ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन आज भी किसानों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। यहां किसान विभिन्न नस्लों की बकरियों का पालन करते हैं, लेकिन मुख्यतः ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां अधिक पाई जाती हैं। इस नस्ल की बकरियों का उपयोग मुख्यतः मांसाहार के लिए किया जाता है, और ये बकरियां धीरे-धीरे बड़ी होती हैं, जिससे किसानों को अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल पाता।

नई नस्ल की बकरी | Bakri Palan

हालांकि, अब किसान एक नई नस्ल की बकरी पाल रहे हैं, जो उनके लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो रही है। इस नस्ल की बकरी का दूध भी खास गुणों से भरपूर होता है, और इसे औषधीय उपयोग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। यह बकरी तेजी से बढ़ती है और इस नस्ल को महाराष्ट्र के सोलापुर, नासिक, और पुणे में प्रमुख रूप से पालन किया जा रहा है, जबकि अब झारखंड और बिहार के किसान भी इसका पालन कर रहे हैं।

तेजी से बढ़ती हैं बकरियां | Bakri Palan 

संगमनेरी नस्ल की बकरियां तेजी से बढ़ती हैं और महज डेढ़ साल में 30 से 40 किलो तक वजन हासिल कर सकती हैं, जबकि ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां डेढ़ साल में केवल 10 से 15 किलो वजन तक पहुंचती हैं। संगमनेरी नस्ल की बकरियों का दूध औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जिससे इसकी मांग भी अधिक रहती है। किसान इस दूध को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

Source – Internet   
For Feedback - feedback@example.com

Related News

Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News