अब साइबर ठगी करने वालों से रिश्वत लेकर मामला रफा-दफा करने वाली राजधानी पुलिस की करतूत दूसरी किस्त लेते हुए खुल गई. ये शर्मनाक मामला ऐश बाग थाने से सामने आया है जहां का एक पुलिस अफसर खुद रकम लेते रंगे हाथों पकड़ाया है. ठगी करने वाले भोपाल में कॉल सेंटर चला रहे थे और निवेश के नाम पर ठगी करते थे. एक थाने को 25 लाख रुपए देने वाले ये ठग करोड़ों की ठगी कर चुके होंगे और इस महीने मामला रेट और सेटिंग से बिगड़ गया तो पोल खुल गई. इस मामले में पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा कि आरोपी अंशुल की तबीयत खराब हो रही थी, इसलिए छोड़ा. एसीपी सुरभि मीणा के क्षेत्र में मामला आया, इसलिए उन्हें हटाया है. ताकि निष्पक्ष जांच हो.
पुलिस ने बताया कि ऐशबाग पुलिस ने कॉल सेंटर संचालक अफजल खान के साले मुबीन को बचाने के लिए 25 लाख की डील की. फिर बुधवार को घूस की दूसरी किस्त ₹5 लाख लेते एएसआइ पवन रघुवंशी को एडीपीसी रश्मि अग्रवाल की टीम ने दबोचा. इसमें घूस देने वाला टीकमगढ़ का भाजपा पार्षद अंशुल जैन भी धराया. पुलिस ने दोनों को पहले छोड़ा, फिर टीआइ जितेंद्र गढ़वाल, एएसआइ मनोज कुमार, पवन, प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह और अंशुल पर केस दर्ज किया. फिर गुरुवार को एएसआइ रघुवंशी को पकड़ने पुलिस पहुंची तो वह गायब था. अंशुल भी गायब है. अब उनकी तलाश के दावे हो रहे हैं.
इधर, जांच अधिकारी एसीपी सुरभि मीणा को केस से हटा जांच एसीपी निहित उपाध्याय को दी है. एएसआइ पवन रघुवंशी ने कहा कि मामले को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत जांच के लिए लोकायुक्त में दिए जाने की बात सामने आ रही है. ऐशबाग थाना और सीनियर अफसरों की कार्रवाई चर्चा में है. दूसरी तरफ एफआइआर और फिर आरोपी एएसआइ और घूस देने वाले अंशुल जैन को छोड़ देने से सवाल उठ रहे हैं.
इस मामले में कड़ी कार्रवाई का दावा
टीआइ, दोनों एएसआइ और प्रधान आरक्षक पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया गया है. रिश्वत की धारा लगी तो 10 साल से ज्यादा की सजा होगी. रिकवरी भी की जाएगी. ऐसे में अफसर सभी आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तार तय बता रहे हैं. सभी की संपत्तियों की भी जांच होगी. इससे पहले सटोरियों से लाखों रुपए लेने की फोन रिकॉर्डिंग भी सामने आई थी तब भी ऐसे दावे किए गए थे.
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