अण्डे बेचने वाला बना एक्टर, 10 दिन के वसूलता है लाखो रूपये किसमत ने फर्श से अर्श पर बैठा दिया

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1950 से 1970 तक देव आनंद, राज कुमार, राज कपूर, मनोज कुमार-राजेंद्र कुमार की फिल्में काफी देखी जाती थीं. ये सितारे उन दिनों बॉलीवुड के सबसे महंगे सितारों में गिने जाते थे. कहा जाता है कि वे उस समय भी एक फिल्म के लिए मेकर्स से मुंहमांगी कीमत वसूल करते थे. हालांकि आपको जाकर हैरानी होगी कि इनकी फिल्मों में बतौर सेकेंड लीड एक्टर काम करने वाला एक अभिनेता इनसे ज्यादा फीस लेता था.

अण्डे बेचने वाला बना एक्टर, 10 दिन के वसूलता है लाखो रूपये किसमत ने फर्श से अर्श पर बैठा दिया

नई दिल्ली. बॉलीवुड में अक्सर सितारों की फीस की काफी चर्चा होती है. अक्सर फैंस ये जानने के लिए काफी बेताब रहते हैं कि उनके फेवरेट सितारों की फीस क्या है. वे एक फिल्म के लिए मेकर्स से कितने पैसे लेते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 1950-60 के दशक में एक कॉमेडी एक्टर फिल्म के लीड एक्टर से ज्यादा फीस लेता था. वह 15 दिन की शूटिंग में ही लखपति बन जाता था.

उस एक्टर की फीस को लेकर एक बार अमिताभ बच्चन ने खुद लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने बताया था कि फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने उस स्टार की वजह से अपनी मुकाम हासिल कर पाए थे. वो एक्टर कोई और नहीं बल्कि गुजरे जमाने के कॉमेडी किंग महमूद (Mehmood) थे.

29 सितंबर 1932 को जन्में महमूद के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा कि उन्होंने अपने एक्टिंग करियर में करीब 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है . एक्टर ने 23 जुलाई 2004 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. महमूद आज भले ही हमारे बीच नहीं लेकिन उनकी लाइफ स्ट्रगल स्टोरी आज के युवाओं को काफी प्रभावित करती है.

महमूद अपने समय के सुपरस्टार रहे हैं. उन्होंने अभिनय करियर बचपन में ही शुरू हो गया था. उन्हें पहली बार बॉम्बे टॉकीज़ द्वारा निर्मित ज्ञान मुखर्जी की फ़िल्म ‘किस्मत’ में कास्ट किया गया था. इस फिल्म में अशोक कुमार लीड एक्टर थे. जबकि महमूद बेहद मामूली रोल था. यह फिल्म 1943 में रिलीज हुई थी. उनकी पहली ही फिल्म दर्शकों को काफी ज्यादा पसंद आई थी.

कहा जाता है कि ‘किस्मत’ फिल्म के बाद महमूद ने एक्टिंग करना छोड़ दिया था क्योंकि परिवार आर्थिक तंगी से जूझने लगा था. इसके बाद महमूद छोटी-मोटी नौकरियी करने लगे. घर का खर्चा चलाने के लिए उन्होंने राज कुमार संतोषी के पिता पीएल संतोषी के लिए ड्राइवर बन गए. इसके अलावा घर की आर्थिक सुधारने के लिए उन्होंने अंडे बेचने और टैक्सी चलाने जैसे काम भी करने लगे.

कहते हैं जिसे जो बनना होता है उसकी किस्मत पहले से तय हो जाती है. कुछ ऐसा ही महमूद के साथ हुआ, 15 साल बाद जब राज कपूर की फिल्म ‘परवरिश’ आई रिलीज हुई. इस फिल्म से महमूद की किस्तम रातों रात बदल गई. यह फिल्म 1958 में रिलीज हुई. इस फिल्म में महमूद राज कपूर के भाई की भूमिका निभाई थी.

महमूद को चार फिल्मफेयर पुरस्कार मिले जिनमें से तीन ‘बेस्ट कॉमेडियन एक्टर’ के लिए थे. उन्हें ये अवार्ड फिल्म ‘प्यार किये जा’ , ‘वारिस’ और ‘वरदान’ के लिए मिला था. ‘आवाजें’ (1966), ‘लव इन टोक्यो’ (1966) ,’भूत बंगला’ , ‘पड़ोसन’ (1968) जैसी फिल्मों के लिए महमूद काफी फेमस हैं.

अण्डे बेचने वाला बना एक्टर, 10 दिन के वसूलता है लाखो रूपये किसमत ने फर्श से अर्श पर बैठा दिया

महमूद के बारे में एक बात बॉलीवुड में काफी फेमस है. जब महमूद अपने करियर के चरम पर थे तब उनकी फीस फिल्म में लीड एक्टर्स से भी ज्यादा होती थी. ‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, महमूद को फिल्मों के मुख्य अभिनेताओं से भी अधिक भुगतान किया जाता था. कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि जो निर्माता अपनी फिल्मों को ब्रांड बनाने के इच्छुक थे, उन्होंने फिल्म क्रेडिट में महमूद के नाम का उल्लेख किया करते थे. 1962 में प्रदीप कुमार और मीना कुमारी की फिल्म आरती में महमूद के लिए एक स्पेशल कैरेक्टर बनाया था.कहा जाता है कि महज 14 दिनों की शूटिंग के लिए महमूद 7.5 लाख रुपये कमाते थे जो उस ज़माने में बहुत बड़ी रकम थी.

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