करीब डेढ़ एकड़ में विस्तारित मंदिर का वर्तमान भवन 50 साल पहले बना
Ancient: खंडवा का मां तुलजा भवानी मंदिर मध्य प्रदेश के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण देवी मंदिरों में से एक है। यह मंदिर नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय है, जहां हजारों भक्त मां के दर्शन करने आते हैं। मंदिर की विशेषता यह है कि मां तुलजा भवानी भक्तों को दिन के तीन अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं—सुबह बाल्यावस्था में, दोपहर में युवावस्था में, और शाम को वृद्धावस्था में। इस अद्वितीय अनुभव के चलते मंदिर भक्तों के आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
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यह मंदिर रामायण और महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने अपने 14 साल के वनवास के दौरान यहां नौ दिनों तक मां तुलजा भवानी की आराधना की थी और उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर दक्षिण की ओर प्रस्थान किया था। महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भी यहां आकर देवी की कृपा से इंद्र द्वारा की जा रही वर्षा को रोका था। इतिहास की दृष्टि से यह भी कहा जाता है कि मराठा शासक छत्रपति शिवाजी की मां भवानी उनकी आराध्य देवी थीं, जिन्होंने शिवाजी को शमशीर प्रदान की थी। इस शमशीर से उन्होंने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
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मंदिर का वर्तमान भवन करीब 50 साल पहले बनाया गया था, जो लगभग डेढ़ एकड़ में फैला हुआ है। यहां अष्टभुजी प्रतिमा सिंह पर सवार है और राक्षस का वध करते हुए दिखाई देती हैं। मंदिर में भोले बाबा का विराट स्वरूप भी है और भगवान श्रीराम का दरबार भी स्थित है। नवरात्रि के दौरान विशेष श्रृंगार और अभिषेक होता है, और श्रद्धालु मां तुलजा भवानी की आराधना करते हैं। अष्टमी और नवमी के दिनों में यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं।साभार…
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