रीवा: जिले के चाकघाट तहसील क्षेत्र से एक अनोखी खबर सामने आई है. यहां पर रहने वाली प्रसुता ने एक बच्चे को जन्म दिया है. नवजात के जन्म लेते ही जब डॉक्टरों की नजर उस पर पड़ी तो वह हैरत में पड़ गए, क्योंकि अस्पताल में जन्म लेने वाला नवजात कोई साधारण नवजात की तरह नहीं है. नवजात की शक्ल हुबहु एक एलियन की तरह है. परिजनों के मुताबिक चाकघाट अस्पताल में बच्चे की नार्मल डिलेवरी हुई. वह आसमान्य था और उसकी हालत गंभीर है. इसके बाद उसे रीवा के गांधी मेमोरियल अस्पताल के ICU वार्ड में रखा गया. जिसका इलाज किया जा रहा है.
रीवा में प्रसूता ने दिया एलियन जैसी शक्ल वाले बच्चे को जन्म
दरअसल, मंगलवार की रात त्योंथर तहसील क्षेत्र स्थित ढकरा सोनौरी गांव की निवासी शांति देवी पटेल की बहू प्रियंका पटेल को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उसे देर रात चाकघाट स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. बुधवार की सुबह बहू की नॉर्मल डिलेवरी हुई. डिलेवरी के बाद मां स्वस्थ थी, लेकिन बच्चा आसमान्य था. उसका शरीर क्षत-विक्षत है, देखने में वह बिल्कुल एक एलियन की तरह है. डॉक्टरों ने नवजात की हालत को गंभीर देखते हुए उसे रीवा गांधी मेमोरियल अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. गांधी मेमोरियल अस्पताल के ICU वार्ड में भर्ती नवजात का इलाज अब डॉक्टरों की देखरेख में किया जा रहा है.
समय से दो माह पहले बहू ने दिया बच्चे को जन्म
त्योंथर निवासी शांति देवी पटेल के ने बताया "बहू प्रियंका पटेल को प्रसव पीड़ा के बाद मंगलवार की रात चाकघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था. बुधवार सुबह 7 बजे नार्मल डिलेवरी हुई, लेकिन बच्चे का शरीर क्षत-विक्षत है. बच्चे की हालत को गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने रीवा रेफर किया है. शांति देवी ने बताया कि बहू की जांच कराने समय-समय पर शासकीय और प्राइवेट अस्पताल गईं. जहां अल्ट्रासाउंड के बाद भी डॉक्टरों ने मां और बच्चे को स्वस्थ बताया. जबकि डिलीवरी के बाद बच्चा अस्वस्थ पैदा हुआ."
डॉक्टर बोले- क्यों है बच्चे की ऐसी स्थिति
वहीं रीवा गांधी मेमोरियल अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई JR1 पीडी आर्टिक डिपार्टमेंट के डॉ. नवीन कुमार मिश्रा ने बताया कि "अनुवांशिक बीमारी से ग्रसित एक नवजात चाकघाट अस्पताल से रेफर किया गया है. अनुवांशिक बीमारी में दोनों ही पेरेंट्स "कैरियर" होते हैं. ( इसका मतलब यह है कि माता-पिता के पास एक असामान्य जीन की एक प्रति है, लेकिन वे खुद उस बीमारी से पीड़ित नहीं हैं. अगर दोनों माता-पिता एक बीमारी के वाहक हैं, तो बच्चे में उस बीमारी के विकसित होने के 25 प्रतिशत खतरा होता है.) जिसके चलते वो बीमारी गर्भ में पल रहे बच्चे को हो जाती है.