Amla Assembly – आमला(पंकज अग्रवाल) – 1977 में आमला विधानसभा सीट के वजूद में आने के बाद से 11 विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। इसमें 4 मर्तबा कांग्रेस को और 6 बार भाजपा को विजयश्री मिली। 2023 में 11वें विधानसभा चुनाव में जीत किसे मिलेगी? इसका फैसला 3 दिसंबर को होगा। मुख्य मुकाबला कांग्रेस के मनोज मालवे और भाजपा के डॉक्टर योगेश पंडाग्रे के बीच रहा। जीत हार कम वोटो से होने संभावना लोग जता रहे है। जिसके पीछे उनके अपने विश्लेषण है। वहीं कुछ जानकार यह बता रहे है की हार- जीत बड़े अंतर से भी हो सकती है।
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आमला विधानसभा में सबसे छोटी जीत का रिकार्ड कांग्रेस के गुरुबक्स अतुलकर के नाम है। उन्होंने 1993 के विधानसभा चुनाव में मात्र 19 मतों से भाजपा के अशोक नागले को पराजित किया था। वही सबसे बड़ी जीत भाजपा के चैतराम मानेकर के नाम दर्ज है। उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को 39 हजार से ज्यादा मतों से हराकर रिकार्ड जीत हासिल की थी। इसके बावजूद भी भाजपा ने उनको 2018 में रिपीट नहीं किया। यही हाल गुरुबक्स अतुलकर का रहा। 19 वोटो से जीतकर तीसरी बार विधायक बने अतुलकर को कांग्रेस ने चौथी बार मौका नहीं दिया।
2003 के विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस की सुनीता बेले करीब 300 वोटो से चुनाव जीत पाई थी। 1998 विधानसभा चुनाव में भाजपा के हीराचंद चंदेलकर ने कांग्रेस के चैतराम मानेकर को 650 वोट से हराकर चुनाव जीता था। इसके बाद भाजपा बड़े अंतर से चुनाव जीत की हैट्रिक लगा चुकी है। 2008 में परिसीमन के बाद सारनी आमला विधानसभा का हिस्सा बना। 2008 में भाजपा के चैतराम मानेकर करीब 29 हजार और 2013 में 39 हजार वोट से जीते।2018 में भाजपा के डॉक्टर योगेश पंडाग्रे 19 हजार के अंतर से चुनाव जीते थे। 2008 के पहले तक भाजपा कांग्रेस में बराबर का मुकाबला रहता था। लेकिन आमला विधानसभा में सारणी जुडऩे के बाद से कांग्रेस बड़े अंतर से चुनाव हारने लगी। लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिली।
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