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अमित शाह का कांग्रेस पर वार: तीन चुनाव हारकर हताशा में है राहुल गांधी

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नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला. उन्होंने भाजपा के प्रत्यक्ष जनसंवाद और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के जनसंपर्क कार्यक्रमों की तुलना करते हुए कहा कि दोनों में 'बड़ा अंतर' है.

न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में गृह मंत्री ने कहा कि किसी कार्यक्रम का प्रबंधन करने और जनता से संवाद करने में बहुत अंतर है. शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी 'भ्रम' पैदा करना चाहती है और चुनावी हार के बाद बढ़ती 'हताशा' का सामना कर रही है. उन्होंने कहा कि वे (कांग्रेस) लोगों में एक तरह का भ्रम पैदा करना चाहते हैं और वे निश्चित रूप से सफल नहीं होंगे, क्योंकि लोगों के साथ हमारा सीधा संपर्क उनसे कई गुना ज्यादा है. हम लोगों से बात करते हैं. हम यहां यूं ही आकर नहीं बैठ गए हैं. तीन चुनाव हारने के बाद, मुझे लगता है कि हताशा का स्तर इतना बढ़ गया है कि सामान्य निर्णय क्षमता, वह (राहुल गांधी) खो चुके हैं.

 

उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष के आरोपों के विपरीत, संसद के भीतर सीआईएसएफ (CISF) की उपस्थिति को सही या गलत को सही ठहराने का प्रयास नहीं है. वहीं, अमित शाह ने आगे कहा कि सबसे पहले, इस बात को अच्छी तरह समझ लीजिए कि संसद के अंदर, किसी भी बल को तैनात करना अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में होता है. उन्होंने कहा कि बल की पहचान मायने नहीं रखती. पहले दिल्ली पुलिस के जवान तैनात रहते थे, अब सीआईएसएफ के जवान हैं.

उन्होंने आगे कहा कि लेकिन जैसे ही वे सदन की सुरक्षा परिधि में आते हैं, उन्हें सीआईएसएफ या दिल्ली पुलिस का जवान नहीं माना जाता, बल्कि उन्हें मार्शल माना जाता है. और वे अध्यक्ष के अधिकार के तहत काम करते हैं. मार्शल सदन में तभी प्रवेश करते हैं जब अध्यक्ष उन्हें ऐसा करने के आदेश देते हैं.

 

इससे पहले 5 अगस्त को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि मोदी सरकार ने 'स्वीकार कर लिया है' कि राज्यसभा में सीआईएसएफ के जवान तैनात थे और सदन में उनकी मौजूदगी के लिए चाहे जो भी नाम इस्तेमाल किया जाए, 'यह संसद का अपमान है.'

सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक पोस्ट में, जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे यह पूछने में सही थे कि क्या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'राज्यों की परिषद का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है. उन्होंने कहा कि यह संसद का अपमान है और राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने आज यह पूछकर सही कहा कि क्या केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्य परिषद का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है. तो आखिरकार मोदी सरकार ने आज मान ही लिया कि पिछले हफ्ते राज्यसभा में विपक्षी सांसदों को उनके लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के अधिकार से रोकने के लिए सीआईएसएफ के जवान तैनात किए गए थे. आप उन्हें चाहे किसी भी नाम से पुकारें, लेकिन सच्चाई यही है कि वे सभी सीआईएसएफ के ही थे, जयराम रमेश ने कहा.

राज्यसभा में शोरगुल के बीच, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने खड़गे के इस आरोप का खंडन किया कि सदन में सीआईएसएफ को लाया गया था. उन्होंने कहा कि केवल मार्शल ही सदन में आ सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि खड़गे ने सदन को गुमराह किया और उपसभापति को 'गलत पत्र' लिखा. उन्होंने कहा कि विपक्ष के सदस्य मीडिया में गलत आरोप लगा रहे हैं कि सदन में सेना, सीआईएसएफ और पुलिस को लाया गया था.

 

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