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अंबा देवी रॉक शेल्टर: 35,000 साल पुरानी धरोहर पहचान को तरसी, ट्रैकिंग हॉटस्पॉट बना स्थल, महाराष्ट्र से उमड़ रहे पर्यटक, MP प्रशासन मौन

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बैतूल:- (विशाल घोड़की) सतपुड़ा की वादियों में छिपी एक बेजोड़ विरासत—अंबा देवी रॉक शेल्टर—आज न केवल मानव सभ्यता के आदिकालीन इतिहास की जीवित मिसाल है, बल्कि रोमांचप्रिय ट्रैकर्स के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। वैज्ञानिक रूप से 35,000 वर्ष पुरानी मानी जा रही इस धरोहर को न तो समुचित पहचान मिल पाई है, न ही संरक्षण। प्रशासनिक उपेक्षा, मूलभूत सुविधाओं का अभाव और पहचान की कमी इसे गुमनामी में धकेल रही है।

महाराष्ट्र से उमड़ रहे पर्यटक, लेकिन स्वागत के नाम पर कुछ नहीं:-

हाल ही में अमरावती और नागपुर से दो बसों में आए लगभग 70-80 पर्यटकों का समूह अंबा देवी रॉक शेल्टर पहुंचा। उन्होंने पहाड़ियों और जंगलों से होकर ट्रैकिंग की, वहीं शैलचित्रों को देखकर प्राचीन इतिहास की झलक भी पाई।
महाराष्ट्र के फंडे ट्रेकर्स ग्रुप के सदस्य आशिष शेरेकर बताते हैं – “यह क्षेत्र एक छिपी हुई 35 से 40 हजार साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर है। मैं एक आर्टिस्ट हूं और हमारा ‘फंडे ट्रेकर्स’ नामक ट्रैकिंग ग्रुप अमरावती (महाराष्ट्र) से सक्रिय है। पिछले 4 वर्षों में हमने अंबा देवी क्षेत्र में लगभग 8 से 10 ट्रैक आयोजित किए हैं। हर बार यहां की प्राकृतिक सुंदरता, शांति और शैलचित्रों की ऐतिहासिकता ने हमें रोमांचित किया है। खासतौर पर बारिश के मौसम में यहां ट्रैकिंग करना अत्यंत सुखद अनुभव देता है। हमने कई बच्चों और युवाओं को भी इस ऐतिहासिक धरोहर से परिचित कराने का प्रयास किया है और आगे भी करते रहेंगे।”

क्या है अंबा देवी रॉक शेल्टर की खासियत?:-

1. प्राचीन शैलचित्रों की भरमार: जिनमें नृत्य, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्रतीकात्मक चित्र शामिल हैं।

2. विलुप्त प्रजातियों की झलक: शुतुरमुर्ग, जिराफ सरीखे जीव जो मध्यभारत में कभी मौजूद थे।

3. प्राकृतिक रंगों की टिकाऊ पेंटिंग्स: आज भी साफ दिखाई देती हैं।

4. ट्रैकिंग के लिए आदर्श स्थल: पहाड़ी, घाटी, जंगल और चट्टानी रास्तों से भरपूर।

5. शांति और स्वच्छता: पर्यावरण प्रेमियों के लिए शांत स्थान।

 

वैज्ञानिक खोज जिसने इस क्षेत्र को ऐतिहासिक बनाया:-

2006-07 में डॉ. वी. टी. इंगोले (अमरावती विश्वविद्यालय) और उनकी टीम ने इस क्षेत्र में 225 से अधिक रॉक शेल्टर और 300 से ज्यादा शैलचित्र खोजे।
Puratattva Journal (Vol. 17, 2007) में प्रकाशित शोध में शुतुरमुर्ग अंडों की रेडियोकार्बन डेटिंग, मानव गतिविधियों और विलुप्त जीवों पर आधारित वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत किए गए। इस आधार पर विशेषज्ञों ने इसे भीमबेटका से भी प्राचीन माना।

1. संभावनाओं का द्वार खुला, लेकिन ज़मीन पर कोई तैयारी नहीं

2. कोई साइन बोर्ड, गाइड, सड़क, या प्राथमिक चिकित्सा सुविधा तक नहीं।

3. स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर गाइड, फोटोग्राफर, कैंप आयोजक या शिल्पकार के रूप में रोजगार मिल सकता है।

4. इसे एडवेंचर + हेरिटेज टूरिज्म हब के रूप में विकसित किया जा सकता है।

5. राष्ट्रीय पुरातात्विक धरोहर का दर्जा दिलाया जा सकता है।

अब जिम्मेदारी है मध्यप्रदेश शासन की:- जब महाराष्ट्र के ट्रेकर, शोधकर्ता और कलाकार इस धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने की कोशिश कर रहे हैं, तब मध्यप्रदेश सरकार की चुप्पी निराशाजनक है।
अंबा देवी सिर्फ एक स्थल नहीं, हजारों साल पुरानी संस्कृति, विज्ञान, कला और जीवनशैली की साक्षी है।
यदि इसे संरक्षण, नीति और योजना के केंद्र में लाया गया, तो यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और पहचान का स्त्रोत बन सकता है।

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