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अमरनाथ यात्रा: बाबा बर्फानी के दर्शनार्थ उमड़ी भक्तों की भीड़, अब तक करीब 3 लाख लोगों ने किए दर्शन 

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श्रीनगर। 3 जुलाई से शुरु हुई अमरनाथ यात्रा में भक्तों का सैलाब बढ़ता जा रहा है। पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था और सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराने की वजह से भक्तों को काफी अच्छी तरह से बाबा के दर्शन हो रहे हैं। अभी तक करीब 3 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए है। बता दें कि श्री अमरनाथ जी यात्रा भक्तों के लिए सबसे पवित्र धार्मिक तीर्थयात्राओं में से एक है, क्योंकि किंवदंती है कि भगवान शिव ने इस गुफा के अंदर माता पार्वती को शाश्वत जीवन और अमरता के रहस्य बताए थे।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, जो श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अध्यक्ष भी हैं, ने रविवार को बालटाल आधार शिविर का दौरा किया। उपराज्यपाल ने यात्रा के सुचारू संचालन के लिए किए गए प्रबंधों की समीक्षा के लिए अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बालटाल में एक लंगर (सामुदायिक रसोई) में यात्रियों के साथ दोपहर का भोजन किया। इस दौरान उपराज्यपाल ने यात्रियों से बातचीत भी की। उपराज्यपाल ने यात्रा के लिए की गई सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं पर संतोष व्यक्त किया। अमरनाथ यात्रा को लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। 18 दिनों में तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए। 3 जुलाई से शुरू यात्रा 9 अगस्त को खत्म होगी। यात्रा में अभी 20 दिन बाकी हैं। अधिकारियों ने बताया कि रविवार तक 3.07 लाख तीर्थयात्रियों ने पवित्र गुफा मंदिर के दर्शन कर लिए थे। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को भगवती नगर यात्री निवास से 3,791 यात्रियों का एक और जत्था कश्मीर घाटी के लिए दो काफिलों में रवाना हुआ। पहला काफिला 52 वाहनों के साथ 1,208 यात्रियों को लेकर सुबह 3:33 बजे बालटाल बेस कैंप के लिए निकला। दूसरा काफिला 96 वाहनों के साथ 2,583 यात्रियों को लेकर सुबह 4:06 बजे पहलगाम बेस कैंप के लिए रवाना हुआ।
पहलगाम मार्ग का उपयोग करने वाले लोग चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी से होकर गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं और 46 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करते हैं। तीर्थयात्रियों को गुफा मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लगते हैं। वहीं, छोटे बालटाल मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है और यात्रा पूरी करने के बाद उसी दिन आधार शिविर लौटना पड़ता है। 

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