Aamla Assembly – भाजपा के गढ़ आमला में कांग्रेस के दो नेता ही बन पाए विधायक

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1977 में बनी थी विधानसभा सीट

Aamla Assemblyबैतूल 1972 तक बैतूल जिले में 5 विधानसभा सीटें थी जिनमें बैतूल,मुलताई, मासोद, भैंसदेही और घोड़ाडोंगरी शामिल थी। लेकिन 1977 के परिसीमन में मुलताई विधानसभा सीट को दो भागों में विभाजित कर दिया गया और आमला में नई विधानसभा सीट बनी। और इस तरह से बैतूल जिले में बैतूल, मासोद, मुलताई, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही और आमला 6 विधानसभा सीट हो गई।

2008 में एक बार फिर हुए परिसीमन में मासोद विधानसभा सीट समाप्त कर दी गई और जिले में फिर 5 विधानसभा सीट रह गई। लेकिन आमला सीट बरकरार रही और 2023 के चुनाव तक यही स्थिति बनी हुई है। इस तरह से 1977 में बनी आमला विधानसभा सीट जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है में अभी तक 10 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हो चुके हैंं। जिनमें 6 बार भाजपा और 4 बार कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीते हैं।

आमला के पहले विधायक थे अतुलकर | Aamla Assembly

1977 में बनी इस नई विधानसभा सीट के पहले विधायक कांग्रेस के गुरुबक्श अतुलकर बने जो 1980 और 1993 में भी कांग्रेस की टिकट पर ही चुनाव जीते। उनके अलावा जिला पंचायत की तत्कालिन अध्यक्ष सुनीता बेले को 2 बार चुनाव लडऩे का अवसर मिला जिसमें 2003 में वे चुनाव जीती और 2013 के चुनाव में पराजित हो गई।

इन दो उम्मीदवारों के अलावा कांग्रेस ने हर बार नये उम्मीदवार का प्रयोग किया जिसमें 1985 में सारनी क्षेत्र के श्रमिक नेता बेचनराम, 1990 में सुंदरलाल वाईकर, 1998 में चैतराम मानेकर, 2003 में सुनीता बेले, 2008 में किशोर बरदे, और 2018 में मनोज मालवे को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन यह सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए।

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भाजपा के पहले विधायक बने कन्हैयालाल ढोलेकर

भाजपा ने भी इस विधानसभा सीट से अधिकांश समय नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर प्रयोग किया। 1977 में विधानसभा बनने के बाद 1985 में पहली बार भाजपा को कन्हैया ढोलेकर के रूप में पहला विधायक मिला। वे लगातार दो बार 1985 और 1990 में जीते।

भाजपा ने इस सीट पर 1977 मधुकर पारधी, 1980 में मारोतीराव वामनकर, 1985 एवं 1990 में कन्हैयालाल ढोलकर, 1993 में अशोक नागले, 1998 में हीरालाल चंदेलकर, 2003 में लालमन पारदे, 2008 और 2013 में चैतराम मानेकर तथा 2018 में डॉ. योगेश पंडाग्रे को मैदान में उतारा। जिनमें कन्हैयालाल ढोलेकर, हीरालाल चंदेलकर, चैतराम मानेकर और योगेश पंडाग्रे विजय रहे।

मानेकर कांग्रेस से आए भाजपा में छाए

आमला विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव हारने के बाद कुछ सालों तक राजनैतिक वनवास भोगने वाले दो नेता भाजपा में क्या आए उनकी लाटरी खुल गई। कांग्रेस के तत्कालिन जिला पंचायत सदस्य चैतराम मानेकर ने 1998 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा और मात्र 657 वोटों से भाजपा के हीरालाल चंदेलकर से चुनाव हार गए।

इसके बाद 5 वर्षों तक राजनीति में गुमनाम रहे चैतराम मानेकर भाजपा में शामिल हो गए और 2008 में उन्हें भाजपा ने आमला विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा जहां उन्होंने कांग्रेस के किशोर बरदे को 30, 546 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हरा दिया। 2013 के चुनाव में भी चैतराम मानेकर ने भाजपा की टिकट पर जीत का रिकार्ड कायम करते हुए 39602 वोटों से कांग्रेस की पूर्व विधायक सुनीता बेले को चुनाव हरा दिया। लेकिन 2018 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दी।

बरदे की भी भाजपा में खुली लाटरी | Aamla Assembly

2008 के विधानसभा चुनाव में अंतिम क्षणों में कांग्रेस के उम्मीदवार बनाए गए किशोर बरदे 30, 546 वोट के अंतर से चुनाव तो हार गए लेकिन उनकी टिकट के लिए कांग्रेस का बी फार्म कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने हेलीकाप्टर से नामांकन के अंतिम क्षणों में बैतूल भेजा था।

चुनाव हारने के बाद किशोर बरदे कांग्रेस की राजनीति में कहीं दिखाई नहीं दिए लेकिन अचानक वे भाजपा में शामिल हुए और 2022 में उन्हें मध्यप्रदेश की तीसरी बड़ी नगर पालिका सारनी में भाजपा ने पार्षद का उम्मीदवार बना दिया। पार्षद का चुनाव जीतते ही पार्टी ने उन्हें नपाध्यक्ष के लिए मैदान में उतारा और उन्होंने कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को पराजित कर नपाध्यक्ष का चुनाव जीत लिया। इसी दौरान उन्हें आमला-सारनी विधानसभा सीट से उन्हें गंभीर दावेदार माने जाने लगा। गौरतलब है कि इस सीट से डॉ. योगेश पंडाग्रे के भाजपा के सीटिंग एमएलए हैं।

2023 में ये हो सकते हैं दावेदार

भाजपा से वर्तमान विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे का पुन: चुनाव लडऩा लगभग तय है। वहीं कांग्रेस की टिकट पर 2018 में चुनाव हारे मनोज मालवे का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। लेकिन चर्चाओं के अनुसार यदि डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को उच्चतम न्यायालय से राहत मिलती है और उनका इस्तीफा स्वीकार होता है तो समीकरण बदल सकते हैं। वैसे संभावना यह है कि 2018 की कांग्रेस-भाजपा की जोड़ी रिपीट होने की संभावना ज्यादा बताई जा रही है।

6 बार जीती भाजपा, 4 बार कांग्रेस | Aamla Assembly

भाजपा से इस सीट पर 2 बार कन्हैयालाल ढोलेकर, 2 बार चैतराम मानेकर, 1 बार हीरालाल चंदेलकर,डॉ. योगेश पंडाग्रे चुनाव जीते वहीं कांग्रेस से मात्र 2 नेताओं को ही इस सीट से जीत मिले। जिनमें 3 बार गुरुबक्श अतुलकर और 1 बार सुनीता बेले विधायक बन पाए। इस तरह से इस सीट पर भाजपा का दबदबा बना हुआ है।

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