Baglamukhi Temple: सोने से दमक रहा बगलामुखी मंदिर का गर्भगृह

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तंत्र-मंत्र साधकों का माना जाता है सबसे बड़ा केंद्र

Baglamukhi Temple: उज्जैन(ई-न्यूज)। माँ बगलामुखी का गर्भगृह 3 करोड़ रुपए के सोने से दमक रहा है। माँ को सोने की नथनी, कान के बाले, मंगलसूत्र अर्पित किए जाते हैं। माँ बगुलामुखी का यह स्थान तंत्र-मंत्र साधकों के लिए बड़ा केंद्र माना जाता है। आगर-मालवा शहर से करीब 35 किमी दूर नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे है बगलामुखी मंदिर। मंदिर में माता तीन रूप में विराजित हैं। दाएं महालक्ष्मी, बाएं सरस्वती और बीच में बगलामुखी के रूप में दर्शन देती हैं।


यह होती है मन्नतें पूरी


मान्यता के अनुसार यहां तांत्रिक और मिर्च अनुष्ठान से कोर्ट केस में जीत, शत्रुओं का नाश और संतान की प्राप्ति होती है। इसके चलते श्रद्धालु दूर-दूर से माता के मंदिर में पहुंचते हैं। नवरात्रि के पावन पर्व पर आज कीजिए माता बगलामुखी के दर्शन।मां बगलामुखी मंदिर में तंत्र साधना के लिए विशेष संयोग है। मंदिर की चारों दिशाओं में श्मशान-कब्रिस्तान और पास में ही नदी होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। बगलामुखी तंत्र की देवी हैं, इसलिए यहां तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। यह मंदिर इसलिए भी महत्व रखता है क्योंकि यहां की मूर्ति स्वयंभू और जागृत है।


इन्होंने लिया चांदी दान करने का प्रण


मंदिर का गर्भगृह 3 करोड़ रुपए से अधिक के स्वर्ण, 65 लाख रुपए की चांदी और आभूषणों से दमक रहा है। नवरात्रि में माता के दर्शन के बाद यहां कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 40 किलो और बिहार के एक मंत्री ने एक क्विंटल से अधिक चांदी दान करने का प्रण लिया है। मंदिर के पुजारी अनिल नागर ने बताया कि मां बगलामुखी की उपासना और साधना से शक्ति के साथ धन और विद्या की प्राप्ति होती है। सोने जैसे पीले रंग वाली, चांदी जैसे सफेद फूलों की माला धारण करने वाली, चंद्रमा के समान संसार को प्रसन्न करने वाली इस त्रिशक्ति का देवीय स्वरूप हर मनोकामना पूरी करता है। मां को सोने की नथनी, कान के बाले, मंगलसूत्र के साथ स्वर्ण की परत भी अर्पित की जाती है।


प्रतिदिन होते हैं 800 अनुष्ठान


मंदिर में 190 रजिस्टर्ड पंडित हैं, जो मिर्ची अनुष्ठान, विजय यज्ञ, शत्रु नाशक अनुष्ठान, चुनाव में जीत, कोर्ट-मुकदमे से छुटकारा और संतान प्राप्ति के लिए पूजन, काम में बाधा दूर करने के लिए अनुष्ठान करवाते हैं। यहां होने वाले यज्ञ 36 और 108 प्रकार की औषधियों से किए जाते हैं। मंदिर में अनुष्ठान के लिए 350 से लेकर 5100 रुपए की सरकारी रसीद काटी जाती है। फिलहाल, नवरात्रि में भी? को देखते हुए मंदिर के अंदर मिर्ची अनुष्ठान पर रोक लगी है लेकिन मंदिर के बाहर ये अनुष्ठान किया जा रहा है। मंदिर में अनुष्ठान कराने वाले मनोहर लाल पंडित ने बताया कि माता बगलामुखी को नवरात्रि में 9 दिन तक पीली मिठाई और ड्रायफ्रूट का भोग लगाया जाता है। वस्त्र के रूप में पीली चुनर के साथ ही स्वर्ण जडि़त आभूषण अर्पित किए जाते हैं। यहां 114 हवन कुंड में रोजाना 800 हवन हो रहे हैं। मंदिर प्रबंधन समिति ने हवन-अनुष्ठान के लिए भक्त का आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। हवन की रसीद भी भक्त को स्वयं बनवानी होगी। इस बार हवन-अनुष्ठान करने वाले भक्तों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़े, इसके लिए 108 हवन कुंड और बढ़ा दिए गए हैं।


सबसे विशेष है मिर्ची का अनुष्ठान


बगलामुखी माता मंदिर में मिर्ची अनुष्ठान के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। शत्रु पर विजय और शत्रु नाशक इस अनुष्ठान के लिए एक क्विंटल लाल खड़ी मिर्च, चंदन बुरा, गूगल, सरसों से मंदिर के पास बनी यज्ञ शाला में मिर्ची अनुष्ठान किया जाता है। पहले यह अनुष्ठान मंदिर में ही होता था लेकिन बीते 4 वर्ष से इस अनुष्ठान पर मंदिर समिति ने अंकुश लगा दिया है। नवरात्रि के दौरान रोजाना 25 हजार से अधिक श्रद्धालु मां बगलामुखी का आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। रविवार को ये आंक?ा दोगुना हो जाता है। वैसे तो पूरे वर्ष ब?ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं लेकिन नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर यह संख्या हजारों में पहुंच जाती है। मान्यता है कि यहां नवरात्र में कराई गई पूजा, अनुष्ठान और तंत्र-मंत्र का सबसे ज्यादा फल मिलता है।


नवरात्र में होता है 1 हजार कन्याओं का पूजन


मंदिर में नवरात्रि के 9 दिन तक भंडारे का आयोजन किया जाता है। इसमें पूरी, खीर, हलवा, रोटी, सब्जी, दाल-चावल, एक मिठाई सुबह 9 बजे से रात में मंदिर के पट बंद होने तक तक भक्तों को प्रसादी के रूप में मिलती है। नवमी वाले दिन मंदिर में 1000 से अधिक कन्याओं का पूजन किया जाता है। नवमी के दिन जवारे का लखुंदर नदी में विसर्जन के साथ नवरात्रि पर्व का समापन हो जाता है। साभार…

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