Political upheaval: भाजपा ने नगर निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनू बाबू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। छिंदवाड़ा, जो कभी कांग्रेस नेता कमल नाथ का गढ़ रहा है, वहां भाजपा अब अपने राजनीतिक दबदबे को और मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
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भाजपा की रणनीति
भाजपा ने बीती रात एक होटल में अपने सभी पदाधिकारियों और समर्थित पार्षदों के साथ बैठक की, जिसमें पार्षदों को अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमति दी गई। इस बैठक में 32 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया। यह संख्या बहुमत के लिए आवश्यक 25 से काफी अधिक है, जिससे अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की संभावनाएं मजबूत हो गई हैं।
सदन का अंकगणित
छिंदवाड़ा नगर निगम में कुल 48 पार्षद हैं, जिनमें से 34 भाजपा समर्थक हो चुके हैं। इनमें से 32 पार्षद पहले ही अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में हस्ताक्षर कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस के पास अब केवल 14 पार्षद बचे हैं। ऐसे में वर्तमान नगर निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनू बाबू की कुर्सी खतरे में है।
कांग्रेस की स्थिति
2022 के नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा में महापौर पद पर जीत दर्ज की थी, और धर्मेंद्र सोनू बाबू को नगर निगम अध्यक्ष चुना गया था। लेकिन बदलते राजनीतिक माहौल में महापौर विक्रम अहाके सहित कई पार्षदों ने भाजपा का साथ दे दिया, जिससे कांग्रेस कमजोर पड़ गई है।
भाजपा का प्रभाव
भाजपा अब छिंदवाड़ा में अपने राजनीतिक विस्तार की अंतिम कड़ी में है और नगर निगम के सभापति पद पर भी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। कई निर्दलीय और कांग्रेस पार्षदों के भाजपा के पक्ष में आ जाने से भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई है।
निष्कर्ष
अगर अविश्वास प्रस्ताव सफल होता है, तो यह छिंदवाड़ा की राजनीति में बड़ा बदलाव होगा, जहां कभी कांग्रेस का प्रभुत्व था।