क्या स्टूडेंट लोन लेकर खरीद सकते हैं स्कूटी या बाइक? जानें नियम और शर्तें

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क्या स्टूडेंट लोन लेकर खरीद सकते हैं स्कूटी या बाइक? जानें नियम और शर्तें, भारत में स्कूटी या बाइक छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. मगर ख़रीदने से पहले ये समझना जरूरी है कि मिडिल क्लास फैमिली के लिए कौन सा विकल्प बेहतर होगा. अगर आपके मन में ये सवाल है कि क्या कोई स्टूडेंट भी टू-वीलर लोन ले सकता है, तो ये खबर आपके लिए है.

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टू-वीलर लोन में नॉर्मल बाइक से लेकर सुपरबाइक तक शामिल

बेशक, स्टूडेंट्स में बाइक या स्कूटी का काफी क्रेज होता है. लेकिन, ज्यादातर छात्रों के पास खुद की इतनी रकम नहीं होती कि वो सीधे जाकर गाड़ी खरीद लें. पर सवाल ये है कि क्या कोई छात्र टू-वीलर लोन के लिए अप्लाई कर सकता है? तो इसका जवाब है – हां. लेकिन, इसके लिए कुछ तयशुदा नियम और शर्तें हैं, जिन्हें बिना माने वो लोन नहीं ले सकता. कई बैंकों सहित अब कई NBFC भी उनके लिए स्पेशल टू-वीलर लोन उपलब्ध करवाते हैं.

लोन लेने से पहले जानें ये जरूरी शर्तें

टू-वीलर लोन लेने के लिए आपको एक को-एप्लीकेंट या गारंटर देना होता है, जिसका क्रेडिट स्कोर अच्छा हो और उसकी नौकरी हो. यानी उसका खुद का बिजनेस हो या वो कहीं employed (इंप्लॉयड – employed) हो. आमतौर पर अच्छा क्रेडिट स्कोर 700 या उससे ज्यादा होना चाहिए. ICICI के डायरेक्टर के मुताबिक, गारंटर/को-एप्लीकेंट होने से पेमेंट ना करने की स्थिति में उसकी भरपाई हो जाती है. इसके अलावा, आपको भारत का रेजिडेंट होना चाहिए. आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. लोन लेने से पहले आपका परमानेंट एड्रेस होना भी जरूरी है.

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टू-व्हीलर के प्रकार पर कोई पाबंदी नहीं

आम तौर पर, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में तीन दिन तक लग जाते हैं. स्टूडेंट आवेदकों के लिए लोन पीरियड (period – अवधि) औसतन तीन साल तक ही दिया जाता है. टाटा कैपिटल के मुताबिक, लोन के जरिए स्टूडेंट जिस तरह की टू-वीलर खरीद सकता है, उस पर कोई रोक नहीं है. वो सुपरबाइक से लेकर इलेक्ट्रिक स्कूटी तक कुछ भी खरीद सकता है. स्टूडेंट्स के लिए ज्यादातर टू-वीलर लोन एक तरह का unsecured (अनसिक्योर्ड – असुरक्षित) लोन होता है. इसलिए, किसी भी तरह की सिक्योरिटी की जरूरत नहीं होती है.

को-एप्लीकेंट या गारंटर को देने होंगे ये डॉक्यूमेंट

KYC डॉक्यूमेंट के तौर पर आपके पास पासपोर्ट, आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस आदि होने चाहिए. एड्रेस प्रूफ के तौर पर आपके पास बैंक पासबुक, पासपोर्ट, यूटिलिटी बिल आदि होने चाहिए. अगर को-एप्लीकेंट खुद का बिजनेस करता है तो उसे पिछले दो साल का इनकम टैक्स रिटर्न, पिछले एक साल का बैंक स्टेटमेंट और बिजनेस प्रूफ देना होगा. वहीं, अगर को-एप्लीकेंट को सैलरी मिलती है यानी वो employed है तो उसे पिछले छह महीने की पे स्लिप और पिछले छह महीने का बैंक स्टेटमेंट देना पड़ सकता है.