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Book : सुनीता अम्बुलकर की एक साथ दो पुस्तकें हुई प्रकाशित

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महिला अपराध और अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही पुस्तक

बैतूल (सांध्य दैनिक खबरवाणी) – डरो नहीं महिलाओं कानून हैं इस पुस्तक में महिलाओं को कानून का उपयोग कैसे करना हैं और अधिकारों से विषय में सजग कैसे रहना हैं? देश में महिला सम्बंधित अपराध जानकारी दी गई हैं। बेटियां पुस्तक में बेटियों और महिलाओं को जागरूक और इनके प्रति सम्मान और जीवन में इनके योगदान को व्यक्त किया हैं। सुनिता अम्बुलकर द्वारा रचित यह पुस्तक तीसरी और चौथी हैं इससे पहले महिला सुरक्षा और आत्मनिर्भर बने बेटियां पुस्तक लिखी गई थी, जिसमें महिला अपराध और अधिकारों के बारे में लिखा गया था।

विश्व में प्रसिद्ध है भारतीय संस्कृति: हिंदुस्तान पूरे विश्व में अपनी अलग रीती रिवाज़ तथा संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। भारत में प्राचीन काल से ही यह परंपरा रही है। यहाँ महिलाओं को समाज में विशिष्ट आदर एवं सम्मान दिया जाता है। भारत वह देश है जहाँ महिलाओं की सुरक्षा और इज्ज़त का खास ख्याल रखा जाता है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है। अगर हम इक्कीसवीं सदी की बात करे तो महिलाएं हर कार्यक्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला काम कर रही है चाहे वो राजनीति, बैंक, विद्यालय, खेल, पुलिस, रक्षा क्षेत्र, खुद का कारोबार हो या आसमान में उडऩे की अभिलाषा हो।

प्रताडि़त हो रही महिलाएं- युवतियां: भारतीय समाज में महिला को देवी लक्ष्मी के सामान पूजा जाता है। पर महिलाओं के प्रति नकारात्मक पहलू को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। भारत में गुजरते एक एक पल में महिला का हर स्वरुप शोषित हो रहा है फिर चाहे वो माँ हो, बेटी हो, बहन हो, पत्नी हो या 5-7 साल की छोटी बच्ची ही क्यों न हो? हर जगह नाबालिग लड़कियों से छेड़छाड़ की जा रही है। उन्हें परेशान किया जा रहा है। राह चलते फब्तियां कसी जा रही है। सड़के, सार्वजनिक स्थल, रेल, बस आदि असामाजिक तत्वों के अड्डे बन गए है।

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