गौवंश संरक्षण को बढ़ावा दे रही है गौ सेवक योजना
Gau Sevak Yojana | मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांशी योजनाओं में से एक है, गौ सेवक योजना। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में गौवंश के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देना है। गौरक्षा के साथ-साथ ये योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करती है.
योजना के दो मुख्य भाग हैं | Gau Sevak Yojana
गौ सेवक प्रशिक्षण: इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को पशुओं के प्राथमिक उपचार और देखभाल की निःशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये युवा “गौ सेवक” के रूप में काम कर सकते हैं।
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गौ वत्स पालन प्रोत्साहन योजना: इस योजना के अंतर्गत सरकार गाय और उसके बछड़े की देखभाल करने वाले किसानों को आर्थिक मदद देती है। योजना के तहत देशी नस्ल की गायों के पालन को प्रोत्साहित किया जाता है, जिनके बछड़े कम से कम 4 महीने के हों और दूध उत्पादन औसत से 30% ज्यादा हो।
योजना के लाभ
गौवंश की संख्या में वृद्धि और उनकी बेहतर देखभाल।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का निर्माण।
पशुपालन से जुड़े लोगों को आय में वृद्धि।
स्वदेशी गायों की नस्लों का संरक्षण।
आप कैसे जुड़ सकते हैं? | Gau Sevak Yojana
यदि आप मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं और गौवंश संरक्षण में रुचि रखते हैं, तो आप अपने क्षेत्र के पशुपालन विभाग से संपर्क कर गौ सेवक प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर सकते हैं। वहीं, गौ वत्स पालन प्रोत्साहन योजना का लाभ लेने के लिए भी विभाग से संपर्क करें।
इस प्रकार गौ सेवक योजना न केवल गौवंश संरक्षण में मदद कर रही है, बल्कि ग्रामीण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
यह योजना मध्य प्रदेश सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा संचालित की जाती है। युवा ट्रेनिंग के बाद गांवों में पशुओं के लिए प्रारंभिक चिकित्सा सुविधा प्रदान कर अपने लिए रोजगार शुरू कर सकते हैं। इससे पशुओं को सही समय पर चिकित्सा सुविधा भी मिलेगी। चयनित युवाओं को हर महीने 1000 रुपए का स्टायपेंड और एक 1200 रुपये की किट भी प्रदान की जाती है। मध्य प्रदेश गौसेवक प्रशिक्षण योजना में युवाओं को केवल छह महीने की ट्रेनिंग दी जाती है।
छह महीने बाद लाभार्थी फिर से ट्रेनिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं। रिफ्रेशर लाभार्थी का चयन वरिष्ठता के आधार पर होगा। मध्य प्रदेश गौसेवक प्रशिक्षण योजना में 10वीं पास और 18 से 35 वर्ष के युवा आवेदन कर सकते हैं। जैसा कि योजना के नाम से ही पता चलता है कि प्रशिक्षित युवाओं को गौसेवक कहा जाएगा।