Betul Harda Politics – जाने क्या है बैतूल सीट का हरदा कनेक्शन 

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पटेल जीते तो हेमंत हारे, हेमंत जीते तो पटेल हारे

Betul Harda Politicsबैतूल संसदीय क्षेत्र बैतूल-हरदा-हरसूद के अंतर्गत बैतूल जिले की पांच, हरदा जिले की दो और खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा शामिल है। इसलिए बैतूल का हरदा जिले से दोनों ही राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा का राजनैतिक संपर्क बना हुआ है। लेकिन एक अजीब सा संयोग भी बैतूल और हरदा जिले के विधानसभा प्रत्याशियों के बीच में बना दिखाई दे रहा है।

हरदा जिला मुख्यालय की हरदा सीट से 1993, 1998, 2003, 2008 और 2018 में पांच बार भाजपा के दिग्गज नेता और कई बार मंत्री रहे कमल पटेल चुनाव जीते हैं। इसी तरह से बैतूल जिला मुख्यालय की बैतूल सीट से भाजपा के दिग्गज नेता एवं पूर्व सांसद हेमंत खण्डेलवाल 2013 और 2023 में विधानसभा चुनाव जीते हैं। लेकिन 2013 से इन दोनों नेताओं के बीच में एक संयोग बना हुआ है।

एक जीता तो दूसरा हारा | Betul Harda Politics

2013 में हेमंत खण्डेलवाल जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़े और भाजपा की टिकट पर बैतूल विधानसभा से भारी मतों से चुनाव जीत गए। वहीं 2013 में अपने जीवन का पांचवा चुनाव भाजपा की टिकट पर हरदा विधानसभा से लड़े कमल पटेल पहली बार चुनाव हार गए। इस तरह से दोनों जिले के दिग्गजों में से एक धराशाही हो गया। यही स्थिति 2018 में बनी। लेकिन परिणाम पलट गए।

कमल पटेल हरदा सीट से जहां अपने जीवन का छटवां चुनाव जीत गए वहीं बैतूल से हेमंत खण्डेलवाल अपना दूसरा चुनाव हार गए। एक बार फिर 2023 के चुनाव में यही स्थिति निर्मित हो रही है जहां हेमंत खण्डेलवाल बैतूल सीट से अपने जीवन का तीसरा विधानसभा चुनाव 15533 वोटों से जीत गए वहीं हरदा के कमल पटेल जीवन का सांतवां चुनाव 870 मतों के छोटे से अंतर से हार गए हैं। इस प्रकार हेमंत खण्डेलवाल और कमल पटेल को एक साथ कभी भी विधानसभा में बैठने का अवसर नहीं मिला है।

जिससे जीते उसी से हारे पटेल

कमल पटेल हरदा की सीट से पहली बार जिससे हारे उसी से दूसरी बार भी हारे। 2013 में हरदा सीट से पहला चुनाव हारने वाले कमल पटेल को कांग्रेस के रामकिशोर दोगने भारी पड़े थे। लेकिन 2018 में कमल पटेल ने रामकिशोर दोगने को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया लेकिन फिर 2023 के इस चुनाव श्री पटेल दूसरी बार श्री दोगने से ही मात्र कुछ वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। इस प्रकार एक बार कमल पटेल ने हार का बदला दिया तो दूसरी बार दोगने ने हार का बदला ले लिया।

कमल पटेल के हार के साथ एक और संयोग | Betul Harda Politics

छिंदवाड़ा जिले के साथ भी कमल पटेल की हार का एक संयोग बताया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि कुछ वर्षों में छिंदवाड़ा जो भी प्रभारी मंत्री रहे वो अगला चुनाव हार गए। इसमें कमल पटेल भी शामिल है। शिवराज सिंह की चौथी पारी में 2020 में कमल पटेल छिंदवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री थे लेकिन वे 2023 का चुनाव हार गए। इसी तरह से कमलनाथ की पहली पारी में 2018-19 के दौरान मुलताई के सुखदेव पांसे छिंदवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री रहे और वह भी 2023 के चुुनाव में पराजित हो गए।