
पहले दिन हो रही नियुक्ति दूसरे दिन हटा रहे
Congress News – बैतूल – जैसे-जैसे प्रदेश में विधानसभा चुनाव पास आ रहे हैं। वैसे-वैसे प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस में जिला स्तर पर गुटबाजी कम होने की जगह चरम पर जाती दिख रही है। जिले में सक्रिय कांग्रेस के दिग्गज नेता दूसरे गुट के कार्यकर्ता की किसी पद पर नियुक्ति को तत्काल हटवाने में सक्रिय हो जाते हैं और नियुक्त किया गया कार्यकर्ता हट भी रहा है और राजनैतिक समीक्षकों का मानना है कि इस गुटबाजी का खामियाजा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को होना तय है।
क्योंकि अभी भी कांग्रेस में नेताओं के बीच मेरी कांग्रेस-तेरी कांग्रेस-इसकी कांग्रेस वाला फार्मूला चल रहा है और जिले में सक्रिय सभी गुट के नेता अपने समर्थकों को अधिक से अधिक पद दिलवाने के लिए प्रयासरत है।
विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए जिस तरह से सत्तारूढ़ भाजपा में जिले से बूथ स्तर तक पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ताओं को विभिन्न मोर्चों और प्रकोष्ठों में पदों से नवाजा जा रहा है उसी की कापी कांग्रेस में भी हो रही है। लेकिन फर्क यह है कि जहां भाजपा में नियुक्तियां जिलाध्यक्ष एवं अन्य प्रमुख नेताओं की सहमति से होती है और एक बार नियुक्ति होने के बाद हटाने की कोई परंपरा नहीं है।
वहीं कांग्रेस में कई नियुक्तियों में तो जिलाध्यक्षों को अखबार में खबर छपने के बाद पता चलता है या नियुक्ति आदेश की प्रतिलिपि मिलने के बाद।
सबसे पहले आमला-सारनी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो सारनी, पाथाखेड़ा ब्लाक में आईटी सेल के माध्यम से निरंतर सक्रिय भूषण कांति को कांग्रेस के एक गुट के नेताओं द्वारा प्रदेश स्तर पर शिकायत करने के बाद अचानक उसके पद से हटाया जाता है। तो बाद में जिला कांग्रेस के ही दूसरे गुट द्वारा उसे मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस में प्रांतीय स्तर के पदाधिकारी की नियुक्ति दिलवा दी जाती है।

इसके बाद सारनी ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष का मामला आता है जिसमें पूर्व से कार्य कर रहे ब्लाक अध्यक्ष भगवान जावरे को बिना कोई सूचना के पद से हटा दिया जाता है और उसके स्थान पर क्षेत्र के वरिष्ठ एवं सक्रिय कांग्रेस नेता तिरूपति एरूलु को ब्लाक अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी जाती है। लेकिन 24 घंटे भी नहीं बीतते हैं कि बिना किसी सूचना के तिरुपति एरूलू को उनके पद से हटा दिया जाता है और उनके स्थान पर एक ब्लाक अध्यक्ष और दो कार्यवाहक ब्लाक अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाती है। यह नियुक्ति भी जिले में सक्रिय दो गुटों के अहम की लड़ाई का परिणाम बताया जा रहा है।

अब जिला स्तर पर बात करें तो कांग्रेस के छात्रविंग एनएसयूआई (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन) में जिला अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे गौरव खातरकर को हटाकर अचानक बैतूल शहर के ही जैद खान को नया जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाता है। जबकि कांग्रेस के दूसरे गुटों ने इस पद के लिए अन्य नामों की अनुशंसा की थी। जैसे ही जैद खान की नियुक्ति होती है, वैसे ही कांग्रेस के कई नेता कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा के परिक्रमा में लग जाते हैं और अंतत: जैद खान की नियुक्ति पर रोक लगने के आदेश जारी हो जाते हैं। दो दिन पहले एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस के एनएसयूआई विंग के प्रदेशाध्यक्ष द्वारा जिलाध्यक्षों की जारी सूची में जैद खान को एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है।
राजनैतिक समीक्षकों का कहना है कि जब बनाया था तो हटाना नहीं था और हटा दिया था तो दूबारा बनाना नहीं था।
अब एक और जिला स्तर के पद पर कांग्रेस में नियुक्ति होने के 24 घंटे के बाद ही हटाए जाने के आदेश सामने आ जाते हैं। और यह नेता भी अल्पसंख्यक वर्ग से ही आते हैं।

कांग्रेस में लंबे समय से सक्रिय और हर चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आबू खान को दो दिन पहले कांगे्रस में अल्पसंख्यक विभाग के ग्रामीण जिलाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाता है। और नियुक्ति के 24 घंटे के भीतर ही आबू खान की इस पद पर नियुक्ति निरस्त कर दी जाती है। इस संबंध में नाम ना छापने की शर्त पर कांग्रेस से जुड़े अल्पसंख्यक वर्ग के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इस तरह से इस वर्ग के कार्यकर्ताओं को नियुक्ति के बाद उनको हटाकर अपमान नहीं करना चाहिए। और इस तरह के आदेश निकलते रहे तो उसका खामियाजा पार्टी को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
इनका कहना… | Congress News
मुझे हटाया नहीं गया है। प्रदेश अध्यक्ष ने इसकी पुष्टि भी की है। यह अफवाह फैलाई जा रही है।
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