Kheti Kisani Update: इस साल मार्च-अप्रैल-मई के महीने में ऐसी बारिश हो रही है जैसी मानसून में पड़ती है इस वजह से किसानों को खेती किसानी में काफी दिक्कत आ रही है किसान सहज प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है. वह प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर जीने में विश्वास करता है. गर्मी है तो वह अपने कमरे को एसी से ठंडा करने की कोशिश नहीं करता बल्कि छाछ पीता है, पन्ना पीता है, आम-पुदीने की चटनी खाता है, सत्तू पीता है और नीम, पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाता है ताकि छांव मिले और गर्मी कम लगे. (Kheti Kisani Update ) इसी तरह वह बरसात में यह नहीं चाहता कि बरसात न हो बल्कि बरसात के साथ जीना सीखता है. घर में अनाज की व्यवस्था कर लेता है, पशुओं का चारा जुटा लेता है. बाढ़ आने पर वह नौका तैयार कर लेता है, नीची जमीन पर जल्दी तैयार होने वाली फसलें लगाता है.
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वह कभी नहीं चाहता कि बरसात न हो. वह ऐसा चाह भी नहीं सकता. आखिर बिना पानी के उसकी फसलें कैसे तैयार होंगी ? इसी तरह वह जाड़ा में ठंडक चाहता है. वह उससे बचने के लिए हीटर नहीं जलाता बल्कि द्वार पर आग (कउड़) जला लेता है. जिस तरह से वह प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाता है उसी तरह से वह चाहता है कि प्रकृति भी अपनी प्रकृति के अनुरूप ही व्यवहार करे. (Kheti Kisani Update) मतलब यह कि जाड़े में गर्मी न हो और बरसात में सूखा न पड़े. गर्मी हो तो जमकर गर्मी पड़े. गर्मी में बरसात न होने लगे.
लेकिन इस बार मौसम गड़बड़ाया हुआ है. मई और जून भीषण गर्मी के महीने होते हैं. लेकिन इस बार मई में गर्मी नहीं पड़ी. मई के शुरू में ही देश के एक बड़े इलाके में झमाझम बारिश हुई. अब जब महीना बीतने जा रहा है तो भी बारिश हो रही है. गुरुवार की शाम को जो आंधी आई उसके बाद कई इलाकों में बहुत तेज बारिश हुई और लोगों को गरम कपड़े तक ओढ़ने पड़ गए. शुक्रवार को दिल्ली के कई इलाकों में अच्छी बारिश हुई. शनिवार की सुबह गाजियाबाद के लोग जब जगे तो मौसम ठंडा हो चुका था और गरज के साथ बारिश हो रही थी.
मतलब यह कि जिस मई में गर्मी पड़नी चाहिए थी, लू चलनी चाहिए थी, सूरज को आग उगलना चाहिए था उसमें बारिश हो रही है. Kheti kisani करने वाले किसान इससे चिंतित हैं. वैसे तो मई महीने की इस बारिश से किसानों की कुछ फसलों को नुकसान हुआ है तो कुछ को फायदा भी हुआ है. लेकिन उसकी चिंता की मुख्य वजह यह है कि वह जानता है कि अगर गर्मी में गर्मी नहीं पड़ेगी तो बरसात भी अच्छी नहीं होगी. और बरसात अच्छी नहीं होगी तो उसकी फसल अच्छी नहीं होगी. अभी देश में सिंचाई की बहुत अच्छी व्यवस्था नहीं हो पाई है.