बैतूल – Political News – आजादी के बाद से ही जिले के आदिवासी क्षेत्रों में तत्कालिन जनसंघ (वर्तमान भारतीय जनता पार्टी) मजबूत स्थिति में रही है और अधिकांश समय जिले के आदिवासियों के लिए आरक्षित दोनों विधानसभा सीट घोड़ाडोंगरी और भैंसदेही में गैर कांग्रेसी उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं। और दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में लगातार गैर कांग्रेसी उम्मीदवार जीतने के बाद बीच-बीच में 5 साल के लिए कांग्रेस को मौका मिलता रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में किसानों की कर्जा माफी और 15 साल के भाजपा के राज के एंटीइंकमबैंसी के चलते इन दोनों ही विधानसभा सीटों से कांग्रेस चुनाव जीत गई थी। लेकिन इस बार भाजपा के उम्मीदवार बदलते हैं तो स्थिति भी बदल सकती है। आज हम भैंसदेही क्षेत्र की बात कर रहे हैं। जहां भाजपा में पूर्व विधायक के अलावा दो नए दावेदार भी सामने आ रहे हैं और यह तीनों ही चौहान है। जिनमें से दो दावेदारों के पिता भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर विधायक निर्वाचित हो चुके हैं।
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तीन पीढ़ी ने किया है क्षेत्र का प्रतिनिधित्व(Political News)
भैंसदेही में चौहान परिवार ने प्रदेश में रिकार्ड कायम कर दिया है जहां पहले दादा दद्दू सिंह पिता केशरसिंह और फिर पुत्र महेंद्र सिंह मिलाकर सात बार जनसंघ, जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर विधायक निर्वाचित होते रहे। इनमें दद्दू सिंह दो बार 1962 और 1967 में जनसंघ की टिकट के चुनाव जीते वहीं उनके पुत्र केशर सिंह दो बार 1980 और 1990 में भाजपा की टिकट पर निर्वाचित हुए। इसी तरह से दद्दू सिंह के पोते महेंद्र सिंह अकेले ही तीन बार 1998, 2003 और 2013 में भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते। वैसे इस परिवार को जनसंघ/जनता पार्टी/ भाजपा ने 12 बार उम्मीदवार बनाया था जिसमें से तीन बार केशर सिंह, और दो बार महेंद्र सिंह चुनाव हारे हैं। चूंकि महेंद्र सिंह को पांच बार पार्टी ने लगातार 1998 से 2018 तक चुनाव लडऩे का अवसर दिया है और लेकिन वे 2008 और 2018 में हारे भी हैं इसलिए इस बार उनकी दावेदारी कमजोर दिखाई दे रही है। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ अनुभवी और विधानसभा क्षेत्र के एक बड़े भाग पर जातिगत समीकरणों के चलते टिकट की दौड़ में वे भी दिखाई देंगे।
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राहुल चौहान मजबूत दावेदार(Political News)
1985 में कांग्रेस की टिकट पर भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए सतीष चौहान के पुत्र राहुल चौहान को 2014 में 27-28 वर्ष की आयु में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बैतूल-हरदा-संसदीय क्षेत्र का कांग्रेस प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन आखिरी क्षणों में उनकी टिकट काटकर अजय शाह को टिकट दे दी गई जो स्वयं भारी मतों से हार गए थे। इसके बाद राहुल चौहान ने कांग्रेस को बाय-बाय करना ठीक समझा और वे भाजपा में शामिल हो गए। वर्तमान में वे जिला भाजपा में जिला महामंत्री के उस पद पर हैं जिस पर पहुंचने के लिए भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता को लंबे समय तक भाजपा का झंडा-डंडा और दरी उठाना पड़ता है। और इसी महामंत्री के पद के चलते जिला भाजपा की सबसे महत्वपूर्ण कोर कमेटी जिला प्रबंध समिति में भी शामिल हो गए हैं। भाजपा में राहुल चौहान के बढ़ते कद को देखते हुए यह माना जा रहा है कि 2023 में वे भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के सशक्त दावेदार हैं। और उन्हें उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है।
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डॉ. महेंद्र सिंह चौहान भी हैं सक्रिय(Political News)
बैतूल में चौहान हास्पीटल का संचालन कर रहे भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र के केवलारी के निवासी डॉ. महेंद्र सिंह चौहान पिछले कुछ वर्षों से क्षेत्र में सक्रिय हैं और भाजपा के चिकित्सा प्रकोष्ठ और अन्य माध्यमों से मतदाताओं से संपर्क बनाने के प्रयास में है। डॉ. महेंद्र सिंह चौहान के पिता काल्या सिंह चौहान भैंसदेही क्षेत्र से 1972 में कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते लेकिन 1977 और 1980 में चुनाव हार गए। और उसके बाद काल्या सिंह चौहान के परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में आगे नहीं आया। लेकिन उनके पुत्र डॉ. महेंद्र सिंह चौहान बैतूल में व्यवसाय शुरू करने के उपरांत भाजपा की राजनीति में सक्रिय हुए और इस बार क्षेत्र से भाजपा की टिकट के लिए अपने संपर्कों के माध्यम से प्रयासरत बताए जा रहे हैं।