फिर दिखी कांग्रेस में जबरदस्त गुटबाजी

बैतूल – 1980 में छिंदवाड़ा से सांसद बनने के बाद कमलनाथ ने कांग्रेस की राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। केंद्रीय मंत्री, संगठन में राष्ट्रीय पदाधिकारी फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, प्रदेश का मुख्यमंत्री और अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे कमलनाथ के बारे में यह मशहूर है कि वे ग्लैमर की राजनीति करते हैं। और उन्हें हर दौरे में भीड़, तामझाम, होर्डिंग, माला, मंच पर जरूरत से ज्यादा भीड़ की आदत पड़ गई है।
फ्लाप रहा कार्यक्रम
छिंदवाड़ा से जुड़े हुए बैतूल जिले को भी लेकर कमलनाथ का विशेष जुड़ाव है। और इसीलिए बैतूल जिले में उनका दौरा भी साल में दो से तीन बार हो जाता है। उनके बारे में यह भी मशहूर है कि दौरे के दो दिन पहले छिंदवाड़ा से उनकी एक टीम उस शहर में आती है और स्वागतद्वारों, हार्डिंग, मंच और अन्य व्यवस्थाओं का निरीक्षण करती है। लेकिन राजनैतिक समीक्षकों का कहना है कि कल 45 मिनट के लिए बैतूल आए कमलनाथ का दौरा हर दृष्टि से फ्लाप रहा है।
हेलीपेड से लेकर मंडप तक दिखी गुटबाजी
यह सर्वविदित है कि कांग्रेस को कांग्रेस ही हराती है। क्योंकि कांग्रेस में गुटबाजी कभी समाप्त नहीं होती। कल भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के दौरे में यही दिखाई दिया। जिले में कांग्रेस के अलग-अलग छत्रप अपना-अपना पंडाल लेकर कमलनाथ के स्वागत में सक्रिय दिखाई दिए। पुलिस ग्राउंड के हेलीपेड से चक्कर रोड के शादी मंडप तक पहुंचने में पहले स्टेडियम के पास मनोज आर्य, फिर शिवाजी चौक पर सेवादल के अनुराग मिश्रा, मुल्ला पेट्रोल पंप विधायक धरमूसिंह, उसके बाद बस स्टैण्ड पर पूर्व एनएसयूआई अध्यक्ष हेमंत वागद्रे, लल्ली चौक पर समीर खान, विधायक निवास निलय डागा समर्थक, गोठी ज्वेलर्स पर अरूण गोठी, एवं थाना चौक पर सुनील शर्मा-रक्कू शर्मा एवं गोठी कालोनी के पास राजेंद्र देशमुख नितिन देशमुख ने कमलनाथ का स्वागत किया। और अंत में मैरिज के पंडाल में सुखदेव पांसे समर्थक स्वागत करते दिखे। स्वागत के दौरान किसी ने भी कांग्रेस जिंदाबाद के नारे नहीं लगाए। अधिकांश स्थानों पर व्यक्तिगत जय-जय कमलनाथ के नारे लगाते हुए कांग्रेसी अपना शक्ति प्रदर्शन करते रहे।
2023 के चुनाव में रहेगा प्रमुख रोल
कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का ही महत्वपूर्ण रोल रहेगा। इसलिए इस बार भी कमलनाथ के सामने विभिन्न विधानसभाओं की टिकट के दावेदारों ने स्वागत के माध्यम से शक्तिप्रदर्शन किया और टिकट के लिए अप्रत्यक्ष रूप से अपना दावा दिखाया लेकिन इस चक्कर में कांग्रेस फिर एक बार गुटों में बंटी दिखाई दी। जो 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए घातक साबित हो सकती है।
चार विधायकों के बावजूद भी भीड़ रही नदारत
2018 के विधानसभा चुनाव में जिले में 5 में से 4 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक बने और शिवराज सिंह का यह मानना रहा कि उस समय भाजपा की सरकार नहीं बन पाने में बैतूल की हार प्रमुख रही। इसके बावजूद कल कमलनाथ के दौरे में कांगे्रस विधायक उतने कांग्रेसी नहीं ला पाए जितनी कमलनाथ को पसंद है। क्योंकि कमलनाथ के हर दौरे में पांच से सात हजार जिले के कांग्रेसी सब काम छोड़कर पहुंचते थे। राजनैतिक समीक्षकों का यह कहना है कि सत्ता जाने के बाद भीड़ भी गायब हो जाती है और ऐसा ही कल कमलनाथ के दौरे में दिखाई दिया।
निजी चुनावी रणनीतिकार का यह कहना
लगभग 150 वर्ष पुरानी देश की राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का 2014 के बाद पूरे देश में जो पराभाव शुरू हुआ है उसको रोकने के लिए पार्टी को अब निजी स्तर पर चुनाव रणनीतिकारों की जरूरत पड़ रही है जो पार्टी के सदस्य भी नहीं है। प्रशांत किशोर एक ऐसा ही नाम है जिसका अब राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस सहयोग लेना चाह रही है। ये पैसा लेकर अभी तक कांग्रेस के अलावा अन्य राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक दलों को चुनावी सलाह दे चुके हैं और जैसा की छनकर बाहर आ रहा है प्रशांत किशोर का यह मानना है कि पार्टी का नेतृत्व स्पष्ट हो और गुटबाजी समाप्त हो तभी पार्टी पुर्नजीवित हो सकेगी।
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