Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

इस तरीके से करे करेले की खेती होगा 10 गुना ज्यादा मुनफा।

By
On:

जानिए, करेले की खेती की खास तकनीक और ध्यान रखने योग्य खास बातें
खेती की बढ़ती लागत को कम करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। इसके लिए किसानों को नई तकनीक और तरीके अपनाने पर जोर दिया जा रहा है ताकि किसान की आय में इजाफा हो सके। इस ओर अब सरकार के साथ-साथ किसान भी ध्यान दे रहे हैं। किसान भी अब लाभकारी फसलों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इन दिनों यूपी के हरदोई के किसान करेले की खेती कर काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। यहां के किसान करेले की खेती के लिए खेत को खास तरीके से तैयार करते हैं और उसमें करेले की खेती करके लागत से 10 गुना ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। अगर आप भी इन किसानों की तरह करेले की खेती करते हैं तो आपको भी करेले की खेती से अच्छा मुनाफा मिल सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को करेले की खेती की इस विशेष तकनीक के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

ट्रैप विधि से करेले की खेती में भारी मुनाफा
करेले की खेती को नुकसान से बचाने के लिए करेले की खेती ट्रैप विधि से करके बहुत अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। इस विधि में करेले की बेल को खेत में जाल बनाकर उस जाल पर फैला दिया जाता है। इससे करेले की फसल नेट पर ही उग जाती है। इस विधि का सबसे अधिक लाभ यह है कि पशुओं द्वारा फसल नष्ट होने का भय नहीं रहता और बेल की सब्जी होने के कारण यह तार के जाल पर अच्छी तरह फैल जाती है जिससे अधिक उपज मिलती है।

धनिया और मेथी को नीचे की क्यारियों में उगाया जा सकता है

धनिया और मेथी को नीचे की क्यारियों में उगाया जा सकता है
करेले की बेल को नेट पर फैलाकर आप नीचे क्यारियों के बीच की जगह में धनिया और मेथी उगा सकते हैं। इसी के साथ करेले के साथ-साथ आपको धनिया और मेथी से भी अच्छी आमदनी हो सकती है. ट्रैप विधि के तहत करेले के बीजों को खेत में क्यारियों के किनारे पर लगाया जाता है और इसकी बेल को बांस/तार आदि के माध्यम से ऊपर उठाया जाता है। ऊपर तारों का जाल बांधकर करेले की लताओं को फैलाकर वातावरण का निर्माण किया जाता है। नीचे हरे रंग की छाया को प्राकृतिक हरे रंग की छाया का रूप दिया गया है। वहीं, धनिये और मेथी की खेती इसके नीचे की क्यारियों के बीच ड्रिप इरिगेशन से भी की जा सकती है।

अर्का हरी किस्म का हो रहा अधिक उत्पादन

अर्का हरी किस्म का हो रहा अधिक उत्पादन
यूपी के हरदोई जिले के किसानों का कहना है कि वे करीब 2 साल से अरका हरित नाम के करेले के बीज बो रहे हैं। इस बीज से निकलने वाले पेड़ से प्रत्येक बेल में 50 तक फल प्राप्त होते हैं। करेले के बीज से निकलने वाला करेला बहुत लंबा और 100 ग्राम तक का होता है। 1 एकड़ में लगभग 50 क्विंटल करेले की अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। खास बात यह है कि इस करेले के फल में ज्यादा बीज नहीं पाए जाते हैं।

करेले की खेती का सबसे अच्छा समय (करेला की खेती)

करेले की खेती का सबसे अच्छा समय (करेला की खेती)
ग्रीन हाउस और पॉली हाउस की सुविधा होने पर करेले की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है। आज करेले की ऐसी किस्में आ गई हैं, जिनकी खेती सर्दी, गर्मी और बारिश तीनों मौसमों में की जा सकती है। इस तरह करेले की खेती साल भर की जा सकती है। करेले की खेती के लिए गर्म जलवायु बहुत अच्छी मानी जाती है। गर्मी के मौसम की फसल के लिए इसे जनवरी से मार्च तक बोया जा सकता है। वर्षा ऋतु की फसल के लिए मैदानी क्षेत्रों में इसकी बुवाई जून से जुलाई तक तथा पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से जून तक की जाती है। करेले की फसल की अच्छी पैदावार के लिए 35 डिग्री तक तापमान बेहतर माना जाता है। वहीं, 30 डिग्री तक का तापमान गुणवत्ता वाली बुवाई के लिए अच्छा होता है।

अच्छी जल निकासी वाली भूमि का चयन करें

अच्छी जल निकासी वाली भूमि का चयन करें
करेले की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। करेले की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि का चयन करना चाहिए। खेत में जलजमाव नहीं होना चाहिए। इससे करेले की फसल को नुकसान होता है।

करेले की खेती के लिए खेत को ऐसे करें तैयार

करेले की खेती के लिए खेत को ऐसे करें तैयार
खेत की तैयारी करते समय खेत में खाद डालने के बाद कल्टीवेटर से काट कर अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को बारीक कर लेना चाहिए। अब इसमें थपथपाकर खेत को समतल करें। बुवाई से पहले खेत में नालियां बना लें। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि खेत में जलजमाव न हो। मिट्टी के स्तर को बनाते हुए दोनों तरफ खेत में नालियां बनाएं। साथ ही खेत से खरपतवार निकाल कर जला दें या गहरी मिट्टी में गाड़ दें।

करेले की बुवाई का सही तरीका

करेले की बुवाई का सही तरीका
एक एकड़ में करेले की बुवाई के लिए लगभग 600 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। करेले के बीजों को 2 से 3 इंच की गहराई पर बोना चाहिए। इस दौरान नाले से नाले की दूरी लगभग 2 मीटर और पौधों की दूरी लगभग 70 सेमी होनी चाहिए। बेल उभरने के बाद इसे मचान पर ठीक से लगा दें ताकि बेल को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाए.

करेले में सिंचाई प्रबंधन

करेले में सिंचाई प्रबंधन
करेले को साधारण सिंचाई की आवश्यकता होती है। करेले की सिंचाई फल और फूल बनने के समय करनी चाहिए। लेकिन खेत में जलजमाव की स्थिति से बचना चाहिए। यानी किसी भी हाल में खेत में पानी नहीं भरना चाहिए

For Feedback - feedback@example.com

1 thought on “इस तरीके से करे करेले की खेती होगा 10 गुना ज्यादा मुनफा।”

Leave a Comment

Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News